Home > देश > लखीमपुर मामले में कांग्रेस को तो न खुदा ही मिला न बिसाले सनम

लखीमपुर मामले में कांग्रेस को तो न खुदा ही मिला न बिसाले सनम

अशोक मधुप/सनशाइन न्यूज………
विश्लेषण
अपने नंबर बढ़ाने आए, मृतक किसानों की सहानुभूति बटोरने में लगी कांग्रेस को लखीमपुर खीरी प्रकरण में लाभ की जगह नुकसान ही हुआ लगता है। कहावत है चौबे जी छब्बे जी बनने निकले थे। दूबे जी बन कर रह गए। इस प्रकरण का लाभ उठाने के लिए कांग्रेस से कोई कसर नहीं छोड़ी।
लखीमपुर खीरी प्रकरण में मृतक चारों किसानों की अंतिम अरदास हो गई। इन मौत पर आंदोलनकारी किसान संगठनों ने खूब राजनीति की। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री की गिरफ्तारी की मांग की गई। घटनास्थल पर शहीद स्मारक बनाने, देशभर में अस्थि कलश निकालने, देश भर की नदियों में किसानों की राख प्रवाहित करने की घोषणा भी की गई। उधर इस प्रकरण में राष्ट्रीय ब्राह्मण सभा भी सक्रिय हो गई। उसने खीरी में एसडीएम को प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन देकर लखीमपुर खीरी प्रकरण में सभी मृतकों के प्रति समान सहानुभूति न दिखाने और समान मुआवजा न देने पर नाराजगी जताई। सूबे को बदनाम करने वाले, चार अन्य लोगों को पीट−पीटकर मारने वाले और आगजनी करने वाले कथित किसानों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की भी मांग की गई। गोला गोकर्णनाथ में हजारों की संख्या में प्रबुद्ध नागरिकों ने मंगलवार की शाम कैंडल मार्च निकाला। कैंडल मार्च द्वारा प्रशासन की एक पक्षीय कार्रवाई का विरोध किया गया। इस कांड में हुई चार अन्य की मौत में भी कठोर कार्रवाई की मांग की गई।
प्रदेश में कई जगह लखीमपुर खीरी और तराई में बसे सिख किसानों की संपत्ति और भूमि की जांच की मांग भी की जाने लगी है। कहा जा रहा है कि तराई में अधिकतर सिख सरकारी भूमि में अवैध रूप से खेती कर रहे हैं।
अपने नंबर बढ़ाने आए, मृतक किसानों की सहानुभूति बटोरने में लगी कांग्रेस को लखीमपुर खीरी प्रकरण में लाभ की जगह नुकसान ही हुआ लगता है। कहावत है चौबे जी छब्बे जी बनने निकले थे। दूबे जी बन कर रह गए। इस प्रकरण का लाभ उठाने के लिए कांग्रेस ने कोई कसर नहीं छोड़ी। राहुल गांधी और उनकी बहन प्रियंका गांधी तुरंत सक्रिय हो गए। लखनऊ स्थित इंदिरा नगर की दलित बस्ती लवकुश नगर में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी झाड़ू लगाती दिखीं। इस मौके पर उन्होंने कहा कि झाड़ू लगाना कोई छोटा काम नहीं है। प्रियंका के इस झाड़ू लगाने पर लोग खूब चटखारे ले रहे हैं। कार्टून बन रहे हैं। इस मामले में मरे चार सिख परिवारों को कांग्रेस के छत्तीसगढ़ और पंजाब के मुख्यमंत्री द्वारा दिया गया पचास−पचास लाख रुपया भी बेकार चला गया लगता है। काश ये रकम वे मुख्यमंत्री अपने प्रदेश के आत्महत्या करने वाले किसानों को देते तो उनके परिवार को कुछ लाभ मिलता।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी के इस अभियान ने सिखों के 1984 के सिख विरोधी दंगो में हुए कत्लेआम के घाव और कुरेद दिए। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने यह प्रकरण होते ही इसे भुनाने का अभियान शुरू कर दिया। इसकी तह तक जाना गंवारा नहीं किया। अगर वे जान लेते कि मरने वाले सभी सिख हैं तो शायद चुप्पी लगा जाते।
उनकी हालत आए थे हरिभजन को ओटन लगे कपास वाली कहावत वाली हो गई। अंतिम अरदास में प्रियंका गांधी के जाने के रास्ते पर होर्डिंग और बोर्ड लगे थे− हमें फर्जी सहानुभूति नहीं चाहिए। आधा दर्जन सिख संगठनों ने प्रियकां गांधी के अंतिम अरदास में पंहुचने का विरोध किया। उनके परिवार को 1984 के सिखों के भारी कत्ले आम का जिम्मेदार ठहराया। पोस्टर में कहा गया है कि फर्जी सहानुभूति नहीं चाहिए। प्रियंका गांधी के लखीमपुर दौरे का विरोध करते हुए कहा गया कि 1984 में सिखों पर अत्याचार करने वाले हितैषी कैसे हो सकते हैंॽ
किसान संगठनों ने अंतिम अरदास में पहुँची प्रियंका गांधी और राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी को भी मंच पर जगह नहीं दी। उन्हें नीचे आम लोगों के बीच अरदास में बैठना पड़ा। प्रियंका गांधी के तो नीचे बैठने से कुछ प्रभाव पड़ने वाला नहीं हैं किंतु जयंत चौधरी का नीचे बैठना पश्चिम उत्तर प्रदेश के जाटों को बुरा जरूर लगा होगा, क्योंकि वे जयंत चौधरी के दादा चौधरी चरण सिंह को अपना मसीहा मानते रहे हैं। दरअसल अरदास में मंच पर संयुक्त किसान मोर्च हावी था, इसीलिए ऐसा हुआ, वरन राकेश टिकैत अकेले ऐसा नहीं कर पाते। अंतिम अरदास में राकेश टिकैत जयंत चौधरी के पास ही बैठे रहे। बिजनौर में किसान यूनियन के एक ऐसे ही कार्यक्रम में जयंत चौधरी को भी नीचे बैठाने की कोशिश की गई थी। इस बात का सभा में मौजूद रालोद नेता और जाटों ने जमकर विरोध किया था। उनके विरोध और हंगामे को देखते हुए किसान यूनियन की सभा के संचालकों को जयंत चौधरी को मंच पर स्थान देना पड़ा था। मंच पर उन्हें पगड़ी भी पहनाई गई थी।
राकेश टिकैत ने मंच पर जगह देने को मना करने के बावजूद हरियाणा के इनेलो सुप्रीमो व पूर्व मुख्यमंत्री ओपी चौटाला के 21 जुलाई को गाजीपुर बार्डर पहुंचने पर उनका स्वागत किया था। जबकि ओमप्रकाश चौटाला को खटकड़ टोल प्लाजा पर किसानों के बीच पहुंचने पर उनको माइक नहीं दिया गया था। काफी देर तक ओमप्रकाश चौटाला माइक के इंतजार में खड़े रहे। आखिर में अपने माइक से सभी को राम-राम कहकर निकल गए। कुछ भी हो अभी इस प्रकरण में इकतरफा कार्रवाई हो रही है। इससे भाजपा कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। यदि दोनों पक्षों के खिलाफ बराबर की कार्रवाई न हुई, तो भाजपा को नुकसान हो सकता है। उधर इस घटना को लेकर प्रदेश का ब्राह्मण मतदाता भी गुस्से में है। वह इस प्रकरण के लिए केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र को निर्दाेष मानता है। यदि दबाव में उनके खिलाफ कार्रवाई हुई तो वह वोट भाजपा से खिसक सकता है।
(लेखक अशोक मधुप वरिष्ठ पत्रकार हैं)

Print Friendly, PDF & Email
Dr. Deepak Agarwal
Dr. Deepak Agarwal is the founder of SunShineNews. He is also an experienced Journalist and Asst. Professor of mass communication and journalism at the Jagdish Saran Hindu (P.G) College Amroha Uttar Pradesh. He had worked 15 years in Amur Ujala, 8 years in Hindustan,3years in Chingari and Bijnor Times. For news, advertisement and any query contact us on deepakamrohi@gmail.com
https://www.sunshinenews.in
error: Content is protected !!