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स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आनंद प्रकाश हमेशा सम्मान से दूर रहे

डॉ. दीपक अग्रवाल
 बिजनौर/उत्तर प्रदेश (सनशाइन न्यूज)
आजादी के आंदोलन में अहम भूमिका निभाने वाले और आजाद हिंद फौज के संस्थापक सुभाष चंद्र बोस के अनुयायी जनपद बिजनौर में भारत छोड़ो आंदोलन की अगुवाई करने वाले महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आनंद प्रकाश गुप्ता उर्फ आनंद भाई हमेशा सम्मान से दूर रहे। उन्होंने कभी भी स्वयं को किसी भी मंच से सम्मानित नहीं कराया। आज वह बिजनौर के जिला अस्पताल में मृत्यु से संघर्ष कर रहे हैं।


करीब 94 वर्ष की अवस्था के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आनंद प्रकाश को बिजनौर के पुराने लोग बखूबी जानते हैं। आनंद प्रकाश अपने बड़े भाई स्व. ज्ञानप्रकाश गुप्ता के परिवार के साथ बिजनौर में आर्यनगर नई बस्ती में रहते हैं। उनका आवास आजादी के आंदोलन का कंेद्र था। एक बार चर्चा करते हुए उन्होंने बताया था कि ब्रिटिश शासन के खिलाफ बगावत करने पर दोनों भाइयों को गिरफ्तार करने के लिए अंग्रेजों ने दबिश दी। लेकिन उनके बड़े भाई ज्ञान प्रकाश गुप्ता फरार हो गए और कभी भी अंग्रेजों के हाथ नहीं आए। उन्होंने भूमिगत होकर आजादी के आंदोलन में शिरकत की। जबकि आनंद भाई मोहल्ला बुखारा में कहीं छिपे हुए थे उन्हंे मुखबिर की सूचना पर गिरफ्तार कर लिया गया। वह करीब चार साल तक जेल में रहे।


महात्मा गांधी की प्रेरणा पर भारत छोड़ो आंदोलन से जुड़े
आनंद भाई सुभाष चंद्र बोस से भी मिले और उनके साथ संघर्ष किया। बोस के अनुयायी होने के कारण वह प्रचार प्रसार और सम्मान से दूर रहे। उन्होंने बताया कि भारत छोड़ो आंदोलन से पहले वह महात्मा गांधी से मिले थे और उनकी प्रेरणा पर ही उन्होंने बिजनौर में इस आंदोलन की अगुवाई थी।
पीआरडी में कमांडेंट रहे
दबंग और मजबूत कदकाठी के आनंद भाई देश आजाद होने बाद पीआरडी में कमांडेंट बन गए। जबकि उनके बड़े भाई स्व. ज्ञान प्रकाश गुप्ता पुनर्वास आयोग में लेखाकार के पद पर नौकरी पर लग गए। आनंद भाई में देश की सेवा करने का जुनून बचपन से ही था। लिहाजा उन्होंने शादी नहीं की और अविवाहित रहे। पीआरडी में नौकरी के दौरान वह उत्तर प्रदेश के कई जिलों में रहे। 1968 में उन्होंने नौकरी छोड़ दी और बिजनौर आकर बड़े भाई के परिवार के साथ रहने लगे।
जवाहर लाल नेहरू के कहने पर फाइल तैयार की
आनंद भाई के बड़े भाई स्व. ज्ञान प्रकाश गुप्ता आजादी के आंदोलन के दौरान कभी गिरफ्तार नहीं हो पाए। जिस वजह से जेल में कोई रिकार्ड न होने के कारण उन्हें स्वतंत्रता संग्राम सेनानी घोषित नहीं किया जा सका। अपने बड़े भाई को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी घोषित कराने के लिए वह दिल्ली जाकर तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू से मिले। आनंद भाई ने बताया कि नेहरू जी ने उनसे कहा कि फाइल तैयार कर लाओ। किन्हीं दो स्वतंत्रता संग्राम सेनानी से उनके योगदान का सत्यापन कराएं। फाइल तैयार की गई। लेकिन वह नेहरू तक नहीं पहुंच पाई। इससे पहले ही नेहरू जी का निधन हो गया। गुप्ता जी ने वह फाइल कार्यवाहक प्रधानमंत्री गुलजारी लाल नंदा को दी। लेकिन कुछ हो नहीं पाया। इसका मलाल गुप्ता जी को आज तक है। उनके बड़े भाई के परिवार में उनकी भाभी सरोज रानी और तीन बेटियां आशा मित्तल, संगीता गुप्ता और विनीता गुप्ता हैं।

नौकरी छोड़ने के बाद समाजसेवा का व्रत लिया
नौकरी छोड़ कर आनंद भाई पूरी तरह से समाजसेवा में लग गए। उनकी अनोखी समाज सेवा से बिजनौर की पुरानी पीढ़ी परिचित है। हर सोमवार को वह अपने आवास से बच्चों को बिस्कुट और अन्य खाद्य पदार्थो का वितरण करते थे। हर बुलावे पर हर प्रकार के उत्सव और विवाह में जाते थे और आर्थिक सहयोग करते थे लेकिन कभी भी किसी के यहां कुछ नहीें खाते थे। अपना खाना और नाश्ता साथ लेकर जाते थे। उनके आवास पर आने वाला कभी खाली हाथ नहीं लौटता था।

सिर से टोपी कभी नहीं हटती
आनंद भाई का अपना एक ड्रेस कोड है। जिसका उन्होंने अपने होश तक पालन किया। सिर पर टोपी वह हमेशा पहनते हैं और गले में थैला। जिसमें छोटी-छोटी डिब्बियों में इलायची, सौंफ और मिश्री रहती थी। जब भी वे किसी से मिलते तो उसे खिलाते।

प्रशासनिक अधिकारी आवास पर सम्मान करने आते
आनंद भाई को सम्मानित करने के लिए 15 अगस्त को प्रशासनिक अधिकारी आर्य नगर नई बस्ती स्थित उनके आवास पर आते रहे। लेकिन उन्होंने उनसे भी सम्मान नहीं कराया। बल्कि अपने पास से मिठाई देकर विदा करते थे।

आनंद भाई इन उत्सवों को मनाते
आनंद भाई 15 अगस्त और 26 जनवरी को अपने आवास पर तिरंगा फहराते थे। मिठाई का वितरण करते थे। 23 जनवरी को सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर मोहल्ले में प्रभातफेरी निकाल कर कार्यक्रम का आयोजन करते थे। 9 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन शुरू हुआ था। इसी याद मंे हर साल वह 9 अगस्त को कार्यक्रम का आयोजन करते थे। 2 अक्टूबर और 30 जनवरी को रामलीला मैदान के पास स्थित गांधी पार्क में कार्यक्रम का आयोजन करते थे। गंगा मेले में लोकमान्य बाल गंगाधर सेवा शिविर लगाते थे। इन सब आयोजनों में वह अपनी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पेंशन से मिली राशि खर्च करते थे। उन्होंने पेंशन की राशि से अपने परिवार और स्वयं के लिए कुछ नहीं किया। पांच साल से उनको केंद्र सरकार से मिलने वाली पेंशन भी जिला कोषागार की लापरवाही से बंद हो गई है।

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Dr. Deepak Agarwal
Dr. Deepak Agarwal is the founder of SunShineNews. He is also an experienced Journalist and Asst. Professor of mass communication and journalism at the Jagdish Saran Hindu (P.G) College Amroha Uttar Pradesh. He had worked 15 years in Amur Ujala, 8 years in Hindustan,3years in Chingari and Bijnor Times. For news, advertisement and any query contact us on deepakamrohi@gmail.com
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