Thursday, March 28, 2024
Home > देश > टीचर्स परिचर्चाः आनलाइन शिक्षण की चुनौतियां/समाधान

टीचर्स परिचर्चाः आनलाइन शिक्षण की चुनौतियां/समाधान

डाॅ. दीपक अग्रवाल
अमरोहा/उत्तर प्रदेश। (सनशाइन न्यूज )
कोविड-19 महामारी के कारण लाॅकडाउन की वजह से स्कूलों मंे आनलाइन शिक्षण किसी चुनौती से कम नहीं है। ग्रामीण क्षेत्रों में परिषदीय स्कूलांे में पढ़ने वाले अधिकतर छात्र-छात्राओं पर स्मार्टफोन का अभाव है दूसरे कक्षा एक से पांच तक के बच्चों को आनलाइन पढ़ाना अभी दूर की कौड़ी है लेकिन प्रयास करने में कोई बुराई नहीं है। आनलाइन शिक्षण विषय को लेकर सनशाइन न्यूज की ओर से टीचर्स के बीच एक परिचर्चा का आयोजन किया गया हैः

यशपाल सिंह
जिलाध्यक्षःप्राशिसं
अमरोहा।
ग्रामीण परिवेश में ऑनलाइन शिक्षण कार्य बहुत टेढ़ी खीर है क्योंकि अभिभावकों के पास एंड्राइड मोबाइल उपलब्ध नहीं है यदि किसी के पास है तो वह ऐसी महामारी की स्थिति में रिचार्ज कराने में सक्षम नहीं है जिससे आनलाइन शिक्षा प्रणाली ठीक प्रकार से संचालित नहीं हो पा रही है । किसी विद्यालय में 150 बच्चे नामांकित हैं तो मात्र 8 से 10 बच्चों के अभिभावकों के पास ही एंड्राइड मोबाइल हैं। अधिकांश अभिभावक अशिक्षित हैं जिससे कि अध्यापकों द्वारा ऑनलाइन प्रणाली के माध्यम से दिए जाने वाला कार्य को वह बच्चों को समझाने में सक्षम नहीं हैै। जिससे ऑनलाइन शिक्षा प्रभावित हो रहा है।
…………………..


सतेंद्र सिंह
एआरपी, जोया।
लाॅकडापन के कारण आनलाइन शिक्षण जरूरी हो गया है। यह काबिलेतारीफ है लेकिन कुछ चुनौतियांे का सामना हमें करना होगा। जब कोई नया काम किया जाता है तो समस्या और चुनौतियांे का सामना करके ही समाधान निकाला जाता है। सभी अभिभावकों के पास स्मार्टफोन होने चाहिए और नेटवर्क की उपलब्धता भी जरूरी है। इस दिशा में सरकार को मंथन करना होगा।
………………………….


डॉ यतींद्र कटारिया विद्यालंकार
कोरोनाकाल में लॉकडाउन से जहां परंपरागत शिक्षा की धारा अवरुद्ध हो रही है वहीं ऑनलाइन शिक्षा का चलन शिक्षा प्राप्ति का नया साधन बनकर सामने आया है, इसके तहत स्वयंप्रभा, दीक्षा, ई-पाठशाला के माध्यम से विभिन्न कक्षाओं के विभिन्न विषयों की पढ़ाई शुरू की गई है।
ऑनलाइन विशेषज्ञों का मानना है कि नए विचारों के बारे में शिक्षार्थियों को ढंग से सोचने के लिए प्रेरित न कर पाना एक अहम चुनौती है। ऑनलाइन शिक्षा के तहत समुचित संसाधन बेहतर संवाद, लक्ष्य के प्रति सजगता तथा निर्बाध संचार व्यवस्था आदि की चुनौती भी महत्वपूर्ण है।
………………………


रामवीर सिंह
प्रधानाध्यापक
ईएमपीएस गुलामपुर
गंगेश्वरी।
वर्तमान में ऑनलाइन कक्षाएं संचालित है। अध्ययनरत छात्र-छात्राओं के अधिकतर अभिभावकों पर स्मार्टफोन नहीं है। इसके अलावा स्मार्ट फोन में डाटा उपलब्ध न होना एवं गांव में सिग्नल का कमजोर होना भी ऑनलाइन शिक्षण में बड़ी बाधा है। वीडियो कॉलिंग करते समय सिग्नल्स की वजह से वीडियो कॉलिंग स्पष्ट नहीं हो पाती है। जिससे संवाद ठीक प्रकार नहीं हो पाता हैं। परन्तु यह भी देखने में आ रहा हैं कि जो छात्र रेगूलर आनलाइन कक्षाएं ले रहे है, वह पहले के मुकाबले अब कुछ बेहतर स्थिति में हैं।


रेखा रानी
मंत्री, प्राशिसं
गजरौला।
लाॅकडाउन के कारण स्कूल बंद है तब मनीषियों ने शिक्षा को पटरी पर लाने का सुझाव रखा। ऑनलाइन शिक्षण का सुझाव आया, और इस पर सफलता के कयास भी लगाने प्रारंभ हो गए हैं किंतु, क्या यह ऑनलाइन शिक्षण भारत जैसे विशाल देश में सफल हो पाएगा?
इसके पीछे कई कारण हैं। जिनमें से मुख्य कारण है- मोबाइल और लैपटॉप का दुष्प्रभाव जब बच्चा शिक्षण के लिए 4 या 5 घंटे मोबाइल और लैपटॉप से चिपका रहेगा तब अनेक घातक बीमारियां की चपेट में स्वभाविक ही आ जाएगा और परिणाम स्वरूप वह अवसाद ग्रस्त रहने लगेगा।
………………………………


जोगेंद्र सिंह
प्रधानाध्यापक
प्राथमिक विद्यालय तिगरी।

ऑनलाइन शिक्षा में शिक्षकों को बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है जिसमें सबसे पहले सभी अभिभावकों के पास एंड्रॉएड फोन का ना होना है। जिनके पास फोन हैं भी वो लोग सभी किसान या मजदूर वर्ग से हैं जो कि आजकल अधिकतर समय खेतों पर रहते हैं। इसके साथ ही अभिभावकों का बच्चों की पढ़ाई के प्रति जागरूक ना होना भी एक कारण है। नेटवर्क कम होना भी बाधक है। शिक्षक ऑनलाइन शिक्षा के लिए काफी प्रयास कर रहे हैं लेकिन 20 से 25 प्रतिशत बच्चे ही इससे लाभान्वित हो रहे हैं। बाकी 75 से 80 प्रतिशत बच्चे इससे वंचित रह रहे हैं।
………………………………………

 


मृणालिनी सिंह
सहायक अध्यापक
प्राथमिक विद्यालय, नजरपुर खुर्द
अमरोहा।
शासन का प्रयास है कि शिक्षा ऑनलाइन करके छात्रों को अध्ययनरत रखा जाए यह उच्चतर कक्षाओं में तो सफल है लेकिन जहां तक टाट पट्टी वाले विद्यालयों का विषय है वहां पर इसकी संभावनाएं बहुत कम है। शिक्षक प्रयास भी कर रहे हैं लेकिन गांव के बच्चों के पास लैपटॉप व एंड्राइड फोन का अभाव है। किसी पर अगर है भी तो उन पर बैलेंस व नेटवर्क की समस्या मुंह बाए खड़ी है। अभिभावक भी आर्थिक व शैक्षिक अभावों के कारण रुचि नहीं ले पाते हैं। सरकार का यह कदम प्रशंसनीय है। लेकिन प्राइमरी विद्यालयों में अभी इसके लिए प्रतीक्षा करनी पड़ेगी, हम सभी इसके लिए प्रयासरत हैं सरकार एवं ईश्वर हमारी सहायता करें।
…………………………………………..

 


गुलनाज बानो
प्रधानाध्यापिका
प्रावि पिलकसराय
अमरोहा।

ऑनलाइन शिक्षा पर जोर दिया जा रहा है सभी विद्यालय सरकारी और प्राइवेट ऑनलाइन शिक्षण पद्धति को अपना रहे हैं। अभिभावकों के पास स्मार्टफोन नहीं है नेटवर्क भी एक समस्या है सभी अभिभावक इतने जागरूक नहीं है कि उन्हें ऑनलाइन शिक्षण की सही जानकारी हो किंतु हमें इन चुनौतियों से जूझना है और सभी बच्चों को ऑनलाइन शिक्षण पद्धति से अवगत कराना है इसके लिए अभिभावकों से फोन पर संपर्क किया जा रहा है उन्हें ऑनलाइन शिक्षण के बारे में बताया जा रहा है। व्हाट्सएप ग्रुप बनाए हैं। उन पर काम भी किया जा रहा है। लेकिन फीडबैक सही नहीं है।
……………………………

 


अदिति गोले
प्रावि जिवाई
जोया।
प्राथमिक विद्यालयों में बच्चे बहुत छोटे होते हैं उन्हें तो हाथ पकड़कर लिखना सिखाना होता है। अभिभावक भी जागरूक नहीं हैं और शिक्षित भी नहीं है। लेकिन फिर भी आनलाइन शिक्षण का प्रयास किया जा रहा है। एंड्रायड फोन, नेटवर्क और रिचार्ज की समस्या भी है। सरकार इस दिशा में कुछ करे तो सफलता मिल सकती है।

……………………………….

 

रमा रस्तोगी
पूर्वमावि मुनव्वरपुर
अमरोहा।

छात्रों को शिक्षा से जोड़े रखने के लिए ऑन लाइन शिक्षण एक मात्र विकल्प है, जिसके द्वारा हमारे शिक्षक भाई बहन अपनी स्थानीय परिस्थितियों के साथ समायोजन करते हुए भरसक प्रयास कर रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों के आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को ऑन लाइन शिक्षण करवाना बड़ा चुनौतीपूर्ण हो गया। अधिकांश बच्चों के घर फोन नहीं हैं। जिसके कारण वे ऑन लाइन ग्रुप से जुड़ नहीं पा रहे और गुरूजनो द्वारा वीडीओ आदि के माध्यम से दिये गये ज्ञान से लाभ नहीं ले पा रहे। संवाद का भी अभाव है। बच्चे अपनी बात को खुलकर मोबाइल पर टाइप नहीं कर पाते हैं ।


 

शाइस्ता नाजिम
ईएमपीएस, बागड़पुर इम्मा
जोया।
ग्रामीण क्षेत्रों में ऑनलाइन बच्चों को पढ़ाना सबसे बड़ी चुनौती है क्योंकि जिन लोगों के बच्चे पढ़ने आते हैं वह अधिकतर गरीब परिवारों से हैं उनके पास एंड्रॉयड फोन न के बराबर है यदि किसी के पास एंड्रॉयड फोन है भी तो वह रिचार्ज एक या दो दिन ही करवाते हैं परिणाम स्वरूप बच्चे बहुत कम ऑनलाइन सक्रिय रह पाते हैं।

Print Friendly, PDF & Email
Dr. Deepak Agarwal
Dr. Deepak Agarwal is the founder of SunShineNews. He is also an experienced Journalist and Asst. Professor of mass communication and journalism at the Jagdish Saran Hindu (P.G) College Amroha Uttar Pradesh. He had worked 15 years in Amur Ujala, 8 years in Hindustan,3years in Chingari and Bijnor Times. For news, advertisement and any query contact us on deepakamrohi@gmail.com
https://www.sunshinenews.in
error: Content is protected !!