डाॅ. दीपक अग्रवाल
अमरोहा/उत्तर प्रदेश (सनशाइन न्यूज)
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः॥
ऐसी संस्कृति वाले देश में गुरु का सम्मान न होना चिंता की बात है। उससे भी अधिक विचारणीय यह है कि क्यों एक खंड शिक्षा अधिकारी को शिक्षकों के साथ सम्मानजनक व्यवहार के लिए पत्र लिखना पड़ा है। जो कि सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
उत्तर प्रदेश के जनपद बाराबंकी के ब्लाक बंकी के बीईओ ने कार्यालय/विद्यालयों में कार्यरत कर्मचारियों के लिए पत्र लिखकर टीचर्स संग सम्मानजनक व्यवहार के लिए आदेशित किया है। साथ ही पत्र में उल्लेख है कि किसी भी शिक्षक के नाम से उल्लेख पर संबंधित कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
शिक्षकों को इस पर विचार करना चाहिए कि ऐसी नौबत क्यों आई कि उनके सम्मान के लिए पत्र लिखना पड़ा। शिक्षक दिवस से एक दिन पहले चार सितंबर को यह पत्र जारी किया गया। शिक्षकों को सम्मान दिलाने के लिए ही पूर्व राष्ट्रपति डाॅ. राधाकृष्णन ने अपने जन्म दिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने की व्यवस्था दी थी। जबकि आज शिक्षक का सम्मान समाज और कर्मचारी दोनों की निगाहों में गिर गया है।
जिस शिक्षक को राष्ट्र व समाज निर्माता का दर्जा प्राप्त है उसके सम्मान में कमी क्यांे आ रही है। इस पर मंथन की जरूरत है।
समाज का हर व्यक्ति शिक्षकों से ही पढ़ता है फिर वह उनका सम्मान करने को तैयार क्यों नहीं हैं कहीं शिक्षकों के आचरण में तो कोई कमी नहीं है या वह समाज के सामने आदर्श पेश नहीं कर पा रहे हैं। इस पर शिक्षक विचार करें।
दूसरी ओर मैं समाज से आग्रह करना चाहता हूं कि शिक्षकों को सम्मान देना सभी का कर्तव्य है। हमें प्राथमिकता के आधार पर अपने गुरुजनों का आदर करना चाहिए।