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पब्लिक स्कूलों की फीस की उलझती गुत्थी

डाॅ. दीपक अग्रवाल
अमरोहा/उत्तर प्रदेश। (सनशाइन न्यूज)
पब्लिक स्कूलों की फीस की गुत्थी उलझकर रह गई है। एक तरफ बच्चांे ने पीएम और सीएम से फीस माफ कराने की गुहार लगाई है वहीं दूसरी ओर पब्लिक स्कूलांे ने सरकार से राहत की मांग की है। गेंद सरकार के पाले में है। अब शासन अभिभावकों की मजबूरी भी समझता है और स्कूल संचालकों की भी। इसीलिए असमंजस की स्थिति बनी हुई है। फीस के अभाव में पब्लिक स्कूलों का स्टाफ वेतन को तरस रहा है।
इस तथ्य से इंकार नहीं किया जा सकता है कभी दान की परिपाटी पर गुरूकुलों में जो शिक्षा दी जाती थी उसका कलेवर अब व्यवसायिक हो गया है। व्यवसायिक होने के पीछे तर्क भी हैं पहले गुरुकुलों में शिष्यों को वह सुविधाएं नहीं मिलती थी जो आधुनिक गुरुकुलों में मिलती हैं तो धनराशि खर्च तो खर्च करनी ही पड़ेगी।
अब बात करते हैं पब्लिक स्कूलों की अमूमन हर पैरेंट्स की इच्छा होती है कि उनके बच्चे महंगे से महंगे और सुविधाजनक पब्लिक स्कूलों में पढ़े। तमाम परिवार तो छोटे कस्बों से शहर की ओर केवल पब्लिक स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने के लिए ही आते हैं।
आज के दौर में चंद स्कूलों को छोड़कर शिक्षा का व्यवसाय लाभ का नहीं रहा हैं। मैं पत्रकार होेने के साथ शिक्षण से भी जुड़ा हूं। इसीलिए यह बात दावे से कह सकता हूं। तमाम स्कूल ऐसे भी हैं जो मुश्किल से अपना खर्चा निकाल पाते हैं। दूसरा तथ्य यह भी है कि स्कूलांे की बाढ़ सी आ गई हैं। अगर अमरोहा की ही बात करंे तो जहां 15 साल पहले करीब 150 इंटर कालेज होते थे यह आंकड़ा 400 की संख्या को भी पार कर रहा हैं।
अब कोविड-19 के कारण फीस संकट की बात पर चर्चा करते हैं। सरकार ने आदेश दिया कि पब्लिक स्कूल फीस के लिए अभिभावकों पर दबाव न बनाएं। यह भी हकीकत है कि कोरोना के कारण हर अभिभावक नुकसान में है सरकार कर्मचारियों को भी डीए प्रतिबंध से खासा नुकसान हुआ है। उधर पब्लिक स्कूलों को फीस न मिलने से स्कूल के खर्च लटक गए। स्टाफ और टीचर्स की सेलरी का संकट है। तमाम स्कूलांे में अप्रैल से टीचर्स को वेतन नहीं दिया गया है। अगर कुछ स्कूलांे ने दरियादिली दिखाते हुए वेतन दिया भी है तो वह भी आधा-अधूरा।
अमरोहा के डीएम उमेश मिश्र से पब्लिक स्कूल संचालकों ने फीस दिलाने की तो अभिभावकों ने फीस माफ कराने की मांग की है। उन्होंने दोनों को उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
उधर बच्चांे ने पीएम और सीएम से फीस माफ कराने की मांग की। जबकि पब्लिक स्कूलों ने भी सीएम से राहत उपलब्ध कराने की मांग की है। फिलहाल हल किसी के पास नहीं है गुत्थी उलझी हुई है।
इसका हल यही हो सकता है कि पब्लिक स्कूल संचालक और अभिभावक जिला प्रशसन की मध्यक्षता में बीच का रास्ता निकाल लें। स्कूल संचालक समाजहित में विचार करें और अभिभावक भी स्कूलों के हितों के विचार करे। जब एक दूसरे के हितों पर विचार किया जाता है तो कुछ त्याग भी करना पड़ता हैं। जिससे बड़ी से बड़ी गुत्थी सुलझ सकती है।

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Dr. Deepak Agarwal
Dr. Deepak Agarwal is the founder of SunShineNews. He is also an experienced Journalist and Asst. Professor of mass communication and journalism at the Jagdish Saran Hindu (P.G) College Amroha Uttar Pradesh. He had worked 15 years in Amur Ujala, 8 years in Hindustan,3years in Chingari and Bijnor Times. For news, advertisement and any query contact us on deepakamrohi@gmail.com
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