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ज्योति के हौसलों को पंख

0श्याम सुंदर भाटिया
मुरादाबाद/उत्तर प्रदेश। (सनशाइन न्यूज)
यह एक साधारण बेटी की असाधारण कहानी है। जोश , जुनून और फौलादी मंसूबों से लबरेज है।15 बरस की इस लड़की की बहादुरी की मिसाल बेमिसाल है। गुरुग्राम टू दरभंगा बारह सौ किलोमीटर तक के साइकिल के इस कठोर सफर में बेइंतहा दर्द है। भूख है। प्यास है। रोमांच है। चोटिल पिता हैं। दृढ़ प्रतिज्ञा है। लक्ष्य को छूने के लिए पुरानी साइकिल है। यह कहानी है,दरभंगा के सुदूर गांव – सिरहुल्ली की ज्योति पासवान की …। करीब – करीब एक माह में ज्योति की खाली झोली आज उम्मीदों से भरी है। झोली में धन है। यश है। सुनहरे करियर का प्रपोजल है। फिल्म निर्माण का कॉन्ट्रेक्ट है। चेहरे पर मुस्कान है। देश और विदेश से थपथपाई गई पीठ और इमदाद को बढ़े हाथों ने ज्योति के हौसलों को पंख दे दिए हैं।

जैसा नाम, उससे भी ऊंची छलांग। सच में ज्योति पासवान बेटे से कमतर नहीं है। ज्योति ने बेटे की चाह की सामाजिक धारणा को भी तोड़ा है। श्रवण कुमार की मानिंद माता-पिता की सच्ची सेवक, नहीं… नहीं… सेवा की सच्ची प्रतिमूर्ति है। नाम ज्योति लेकिन रोशनी मशाल जैसी। पूरी दुनिया सिरहुल्ली की इस बहादुर बेटी की दीवानी है। ज्योति की दीवानगी का आलम यह है, इस फेहरिस्त में दुनिया के सबसे ताकतवर देश अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बेटी इवांका ट्रंप भी शुमार है। किसी ने आठवीं उत्तीर्ण ज्योति का ध्यान इवांका के ट्विटर की ओर आकर्षित किया तो जवाब में ज्योति ने भारतीय संस्कार और संस्कृति का नमूना पेश किया। बोलीं, उनका भी शुक्रिया। कड़वी सच्चाई यह है, ज्योति पासवान असल मायने में कोरोना वारियर्स है। रातों – रात अपनी करिश्माई छवि के चलते करोड़ों – करोड़ दिलों पर राज करने वाली ज्योति अब मशाल बन चुकी है। हर माँ-बाप की जुबां पर एक ही वाक्य है, बेटी हो तो ज्योति पासवान जैसी…।
गुरुग्राम से दरभंगा तक ज्योति की मिसाल और मशाल की चर्चा देशभर में तो है ही, सात समुंदर पार तक उसकी धमक सुनी जा सकती है। इसमें कोई दो राय नहीं है, 1,200 किलोमीटर तक अपने बीमार बाबा को लेकर ज्योति की साइकलिंग रुपी मशाल की चमक, खनक, दमक सालों -साल तक दिलों – दिमाग में छायी रहेगी। ज्योति पासवान के इस अदम्य साहस को सैल्यूट… । उम्मीद है, खेल मंत्रालय ने ज्योति की संजीदगी से परवरिश की तो साइकलिंग की भारत की स्वर्ण तालिका में और इजाफा होगा। कहने का अभिप्राय यह है,एशियाड से लेकर ओलंपिक तक साइकिल दौड़ में भारत का दावा दमदार होगा। यकीनन स्वर्ण पदक ज्योति की झोली में होगा या होंगे। कोविद-19 के स्याह अँधेरे का दूसरा सुनहरा पहलू ज्योति पासवान है। कीचड़ में खिले कमल जैसा…।
इस जुनूनी यात्रा के पीछे गुस्सा भी छिपा है। ज्योति अपने दर्द को यूं बयां करते हुए कहती है, खाने-पीने को पैसे नहीं बचे थे। रुम मालिक भी किराया न देने पर तीन बार बाहर निकालने की धमकी दे चुका था। सोचा, गुरुग्राम में तो मरने से अच्छा है, हम रास्ते में मर जाएं। पापा को मैंने बार-बार कहा, दरभंगा तक मैं आपको लेकर चलूँगी। पापा नहीं मान रहे थे। फिर मैंने जबर्दस्ती की तो आखिरकार जैसे-तैसे मान गए। हम गुरुग्राम से 08 मई को दरभंगा के लिए कूच कर गए।
जैसे – जैसे ज्योति के सफर की फोटो और वीडियो वायरल होने लगी,वैसे ही दिल्ली से लेकर बिहार… फिर अमेरिका तक सोशल मीडिया पर ज्योति छा गई। केंद्रीय खाद्य मंत्री श्री राम विलास पासवान ने ज्योति के जज्बे की तारीफ की। उन्होंने अपने ट्वीट में कहा, कोरोना महामारी के इस संकट से पूरा देश लड़ रहा है, ऐसे कठिन समय में आधुनिक श्रवण कुमार बिहार की बेटी ज्योति पासवान ने अपने पिता को साइकिल पर बैठाकर गुरुग्राम से दरभंगा तक 1000 किलोमीटर से ज्यादा की यात्रा कर, जिस हिम्मत और साहस का परिचय दिया है, उससे अभिभूत हूँ। मैं केंद्रीय खेलमंत्री श्री किरेन रिजुजू से भी आग्रह करता हूँ कि पूरी दुनिया में साहस की मिसाल कायम करने वाली देश की बेटी ज्योति पासवान की साइकलिंग प्रतिभा को और अधिक संवारने के लिए इसके उचित परीक्षण और छात्रवृत्ति की व्यवस्था करें। बिना समय गंवाए खेल मंत्री का भी सकारात्मक ट्वीट आ गया तो फेडरेशन ऑफ इंडिया – सीएफआई भी हरकत में आ गई। बकौल सीएफआई, ज्योति में निश्चित रूप से कुछ खास है। 1,200 किलोमीटर साइकिल चलाना आसान काम नहीं है। 15 साल की इस लड़की में शारीरिक ताकत और स्टेमिना है। हम उसी का परीक्षण करेंगे। सीएफआई के चेयरमैन ओंकार सिंह के ट्रायल को दिल्ली आने के इस प्रस्ताव पर ज्योति ने यह कहकर तुरन्त हामी भर दी, हां – हम रेस लगाने के लिए तैयार हैं। ज्योति को ट्रायल के लिए एक महीने का समय मिला है। उल्लेखनीय है, ज्योति ने गुरुग्राम से लेकर दरभंगा तक दिन – रात 100 किमी से लेकर 150 किमी तक साइकिल चलाई है। चुनौतीभरा यह सफर ज्योति ने अपने चोटिल बाबा को पीछे कैरियर पर बैठाकर 15 मई को पूरा किया। 1,200 किलोमीटर की यह चट्टान – सी अचंभित मंजिल सप्ताह भर में पूरी कर ली।
ज्योति की यह दुर्लभ उपलब्धि
जाने-माने पत्रकार और पीहू फिल्म के निर्देशक विनोद कापड़ी को पता चली तो उन्होंने ज्योति पासवान पर साइकिल गर्ल फिल्म बनाने की घोषणा कर दी है। साथ ही वह वेब सीरीज भी बनाएंगे। श्री कापड़ी की कंपनी बीएफपीएल की ओर से अनुबंध पत्र पर ज्योति के पिता मोहन पासवान ने हस्ताक्षर कर दिए हैं। श्री कापड़ी कहते हैं, इस कहानी को साइकिल गर्ल फिल्म में अलग तरह से पेश करुंगा, जिसमें पिता और पुत्री का संघर्ष होगा।

अमेरिकी राष्ट्रपति श्री डोनाल्ड ट्रंप की बेटी इवांका ट्रंप ने भी अपने ट्विटर अकाउंट पर ज्योति की कहानी को टैग किया। उन्होंने अपने कमेंट में इसे धीरज और प्रेम का खूबसूरत करार दिया। इसके बाद ज्योति चंद घंटों में ही दुनिया भर में सुर्खियों में आ गई।

ज्योति पासवान के घर आजकल नेताओं का रैला लगा है। बिहार के खाद्य उपभोक्ता संरक्षण मंत्री मदन सहानी और योजना एवं आवास विकास मंत्री महेश्वर हजारी भी ज्योति के गांव सिरहुल्ली का दौरा कर चुके हैं। नकदी और इमदाद के अलावा सभी सरकारी योजनाओं में ज्योति के परिवार को शुमार कर लिया गया है। अपनी बेटी के संग – संग इस साइकिल पर भी मां फूलो देवी को नाज है। कहती हैं, गुरुग्राम वाली साइकिल संजोकर रखेंगे। वह हमारे लिए महत्वपूर्ण निशानी है। बाकी साइकिल बच्चे चलाएंगे। ज्योति पांच बहन – भाइयों में दूसरे नंबर की है।
बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और उनकी माता एवं पूर्व सीएम श्रीमती राबड़ी देवी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ज्योति के परिवार से गुफ्तगू की। तेजस्वी ने ज्योति को प्राइवेट नौकरी दिलाने, पढ़ाई और शादी कराने का आश्वासन दिया। सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ज्योति को एक लाख रुपये देने का ऐलान किया। लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष चिराग पासवान ने ज्योति पासवान की हिम्मत की दाद देते हुए न केवल 51 हजार की मदद का ऐलान किया बल्कि राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को पत्र लिखकर ज्योति को बाल वीरता पुरस्कार देने की प्रबल संतुति की है।
सिरहुल्ली गांव अब पहचान का मोहताज नहीं है। ज्योति के घर बधाई देने वालों का सारा दिन तांता लगा रहता है। तोहफों की बरसात हो रही है। कहते हैं, ईश्वर जब देता है तो छप्पर फाड़ कर देता है। कभी पुरानी साइकिल के लिए भी तरसती ज्योति के पास अब पांच साइकिल हैं। एडमिशन भी हो गया है। साइकिल गर्ल के खिताब मिलने के बाद सरकारी शौचालय का रातों-रात निर्माण हो गया। एक नहीं, दो नहीं, तीन-तीन… सरकारी नल लग गए हैं। इंदिरा गांधी आवास योजना से लेकर आधार,राशन कार्ड,बैंक अकाउंट सब है। बकौल ज्योति, मैंने कभी नहीं सोचा था, ऐसा दिन आएगा। कहते हैं, ईश्वर के घर देर है, अंधेर नहीं…अपने सपनों को लेकर ज्योति कहती है, वह स्टडी भी करेगी… साइकिल रेस भी लगाएगी…। यह बात दीगर है, देश और दुनिया की बेपनाह महुब्बत की खातिर आजकल ज्योति की नींद अधूरी है… खाना – पीना भी वक्त – बेवक्त हो गया है… ।

( लेखक सीनियर जर्नलिस्ट और रिसर्च स्कॉलर हैं )

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Dr. Deepak Agarwal
Dr. Deepak Agarwal is the founder of SunShineNews. He is also an experienced Journalist and Asst. Professor of mass communication and journalism at the Jagdish Saran Hindu (P.G) College Amroha Uttar Pradesh. He had worked 15 years in Amur Ujala, 8 years in Hindustan,3years in Chingari and Bijnor Times. For news, advertisement and any query contact us on deepakamrohi@gmail.com
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