डाॅ. दीपक अग्रवाल
अमरोहा।( सन शाइन न्यूज)
लगता है कि जिले में अब प्रधान अथवा चेयरमैन पति/पुत्र/ ससुर/देवर/भाई आदि के दिन लद गए हैं। ऐसा ही कुछ संकेत जिलाधिकारी उमेश मिश्र ने दिया है।
इस तथ्य और व्यवहारिकता से इंकार नहीं किया जा सकता है कि महिला जनप्रतिनिधि निर्वाचित होने के बाद घरों में बैठ जाती हैं और कामकाज की जिम्मेदारी उनके पति/पुत्र/ससुर/देवर/भाई निभाते हैं। ऐसा ही 25 फरवरी को एक स्कूल मंे राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस पर आयोजित एल्बैंडाजोल दवा वितरण कार्यक्रम में देखने को मिला। यहां जिलाधिकारी उमेश मिश्र मुख्य अतिथि थे। लेकिन उन्होंने अभियान का शुभारंभ करने के लिए फीता काटने के वास्ते उच्च प्राथमिक विद्यालय की प्रधानाध्यापिका और प्राथमिक विद्यालय की प्रधानाध्यापिका संग प्रधान को बुलाया। दोनों स्कूलों की प्रधानाध्यापिकाएं आ गईं और प्रधान के रूप में एक पुरुष पहुंचे। जिस पर डीएम ने कहा कि आप प्रधान हैं तो उन्होंने बताया कि प्रधान उनकी भाभी हैं इस पर डीएम ने उन्हें वहां से वापस कर दिया और कहा कि प्रधान को आना चाहिए था।
डीएम के ऐसा करने के पीछे संदेश है कि अब कम से कम अमरोहा जिले में महिला जनप्रतिनिधि को सामने आकर काम करना चाहिए। उनके पति/पुत्र/ससुर/देवर/भाई से काम नहीं चलेगा। वरना नारी सशक्तिकरण का नारा और महिलाओं के लिए आरक्षण खोखला ही रहेगा।