Saturday, April 20, 2024
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प्रतिभा को तराशने की जरूरतः गम्भीर

डॉ.दीपक अग्रवाल
अमरोहा। सभी कदम शिक्षा की ओर-नया विचार नई ऊर्जा फॉउंडेशन ऑफ इंडिया के प्रेणता उपजिलाधिकारी गम्भीर सिंह का मानना है हर किसी को पढ़ाई का महत्व समझा कर भारत को विश्व गुरु बनाया जा सकता हैं हमें प्रतिभाओं को तराशना होगा।
उन्होंने बताया कि 1990 के आसपास की बात है।

जो भी प्रतिभावान बच्चे अच्छे Engineering, Medical, Law, Accounts या अन्य किसी भी Field से अपनी पढ़ाई पूरी करते, विदेशी कम्पनियाँ तुरन्त Toppers को भर्ती करके विदेश ले जाती। ये दौर बहुत ज्यादा Competition का दौर था।
प्रतिभा पलायन (Brain Drain) एक राष्ट्रीय समस्या और ज्वलंत मुद्दा बन चुका था। TV, अख़बारों, रेडियो, सभाओं, संगोष्ठी और Debates में छाया हुआ मुद्दा।
राष्ट्र में रहकर युवा भले ही राष्ट्र की सेवा ना कर पा रहे थे, किन्तु भारत की विश्वगुरु की पहचान फिर से ज़िन्दा हो रही थी। संसार स्तब्ध था और धीरे-धीरे विश्व के सभी सम्मानित संस्थानों पर भारतीय युवा Doctors, Engineers, Professors, Scientists, CEO आदि-आदि के रूप में कब्जा जमाते जा रहे थे।
आपके जितने भी जानकार विदेशों में Set हैं, उनमें से ज़्यादातर की Graduation 1990 से 2005 के बीच पूरी हुई होगी। आप खुद देख लीजिये।
फिर से विश्व ने भारत के साथ छल किया। UNO के माध्यम से पैसे फेंककर भारत में No Detention Policy लागू करवाई और Universalisation of Elementary Education के नाम पर भारतीय शिक्षा की बुनियादी जड़ों को काट दिया।
युवाओं को भटकाने के लिए अमेरिकी और यूरोपी कम्पनियों ने Facebook, Whatsapp, twitter और ना जाने कितने जंजाल युवाओं के गले में डाल दिया।
Social Media या Shopping के अलावा आप अपने Computer पर किसी भी Developed Country की कोई भी Useful जानकारी, knowledge, Information वाली website आप नहीं खोल सकते।
आप check कर लीजिये।
वो लोग आपसे Medical, Engineering, Architecture में हो रही advancement share नहीं करना चाहते। बस आपको Social Media पर फँसाकर, आपका ध्यान भटकाकर आपको पढ़ाई में पीछे छोड़ना चाहते थे, और उन्होंने बड़े ही शातिराना ढंग से आपको पीछे छोड़ दिया।
कहाँ गया प्रतिभा-पलायन का मुद्दा ? जब प्रतिभा ही नहीं बची तो प्रतिभा-पलायन कैसा ?
युवा सतर्क हो जायें, Internet को छोड़कर किताबों की तरफ लौटें।
उज्ज्वल भविष्य आपका इंतजार कर रहा है। व्रत का मतलब समझें। संकल्प का मतलब समझें। खाना छोड़ना व्रत नहीं है, Internet या Mobile छोड़ना भी व्रत हो सकता है। दिन में दस घण्टे किताब पढ़ना भी संकल्प हो सकता है। हमें फिर से भारत को विश्व गुरु बनाना है
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Dr. Deepak Agarwal
Dr. Deepak Agarwal is the founder of SunShineNews. He is also an experienced Journalist and Asst. Professor of mass communication and journalism at the Jagdish Saran Hindu (P.G) College Amroha Uttar Pradesh. He had worked 15 years in Amur Ujala, 8 years in Hindustan,3years in Chingari and Bijnor Times. For news, advertisement and any query contact us on deepakamrohi@gmail.com
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