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और बेटा ठीक होः मैं कामता कमलेश बोल रहा हूं/अब ये शब्द मौन हो गए

डॉ. दीपक अग्रवाल
अमरोहा/उत्तर प्रदेश (सनशाइन न्यूज)

और बेटा ठीक हो। मैं कामता कमलेश बोले रहा हूं। अब ये शब्द मौन हो गए हैं। हर माह उनका फोन आता था। उनके निधन की खबर जब मुझे डॉ. बीना रुस्तगी ने दी तो मुझे ऐसा लगा जैसे किसी सरपरस्त का हाथ सिर से उठ गया। विश्वयात्री कामता कमलेश जी से मेरा करीब 20 साल से परिचय था। जब तक वह अमरोहा रहे तो अक्सर मुलाकात हो जाती थी। करीब पांच साल से से मेरठ अपनीे बेटी के पास रह रहे थे। तब से अब तक नियमित रूप से हर माह फोन आता था।
हिंदी के ख्यातिलब्द्ध विद्वान, संघ लोक सेवा आयोग के हिंदी एक्सपर्ट, केंद्रीय सरकार की विभिन्न समितियों में भागेदार रहे विश्वयात्री डॉ. कामता कमलेश अमरोहा की पहचान थे। उनका निधन अपूरणीय क्षति है।
हिंदी के प्रतिष्ठित साहित्यकार, जेएस हिंदू स्नातकोत्तर महाविद्यालय के पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. कामता कमलेश का 26 फरवरी को सायं 5 बजे अपने पैतृक नगर अमेठी में 84 वर्ष की अवस्था में निधन हो गया। सोमवार को जेएस हिन्दू डिग्री कॉलेज में एक शोकसभा आयोजित कर उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
विश्वभर में हिंदी का प्रचार किया
इस मौके पर महाविद्यालय के हिंदी विभाग की प्रोफेसर डॉ. बीना रूस्तगी ने बताया कि हिंदी के बारे में कहा जाता है कि हिंदी की बिंदी भी चमकती है और यहां कुछ भी मूक नहीं है, हर अक्षर, हर व्यंजन, हर मात्रा बोलती है। , इसी कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है अमरोहा के जेएस हिंदू डिग्री कॉलेज के पूर्व हिंदी प्रोफेसर एवं विभाग अध्यक्ष डॉ0 कामता कमलेश ने। जिन्होंने एक छोटे से शहर अमेठी की धरती पर जन्म तो लिया पर हिंदी के दम पर विश्व के कोने-कोने में ना केवल हिंदी की पहुंचाया। बल्कि देश का नाम भी ऊंचा किया। उनका जाना समाज के लिए एक अपूरणीय क्षति है।
उन्होंने बताया कि डॉ0 कामता कमलेश लगभग 45 वर्षों तक हिंदी की सेवा अपने अध्यापन और लेखन द्वारा करते रहे। 500 से ज़्यादा लेख राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। 70 से अधिक वार्ताएं आकाशवाणी से प्रसारित हो चुकी हैं। लगभग 18 पुस्तकें लिखी हैं। जोकि बाल साहित्य, कथा साहित्य, उपन्यास, हिंदी का व्यावहारिक ज्ञान, विश्व हिंदी की यात्रा आदि विषयों पर आधारित हैं। उनके निर्देशन में लगभग 35 शोधार्थियों ने हिंदी साहित्य पर शोध किया जिसमें देश या विदेशी दोनों प्रकार के छात्र शामिल हैं।
दक्षिण अमेरिका के विजिटिंग प्रोफेसर

उन्होंने बताया कि विश्व हिंदी सम्मेलनों में प्रतिभागी होने के साथ-साथ उन्होंने विदेशों के कई विश्वविद्यालयों में अपने व्याख्यान भी दिए। 2 वर्षों तक वे दक्षिण अमेरिका के विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में भी कार्यरत रहे। डॉ0 कमलेश का मानना था हिंदी की सार्वभौमिकता, वैज्ञानिकता, सहजता उसको स्वयं ही वैश्विक पटल पर स्वर्णिम अक्षरों में अंकित करती हैं। यही कारण है कि विदेशों में भी हिंदी का मान-सम्मान है और लोग उसके अध्ययन की ओर आकर्षित हो रहे हैं। हिंदी मात्र एक भाषा नहीं है। बल्कि हृदय के उद्गारों की भाषा है। इसीलिए हृदय के निकट है। सेवानिवृत होने के बाद भी डॉ0 कमलेश हिंदी की सेवा निरंतर अपनी लेखनी से करते रहे।

रहे विषय विशेषज्ञ
अमरोहा। डॉ0 कमलेश आकाशवाणी के उद्घोषक पद की चयन-समिति के सदस्य रहे। राजकीय महाविद्यालयों के हिंदी अध्यापको की नियुक्तियों के विषय-विशेषज्ञ, एनसीआरटी नई दिल्ली की हिंदी की अनेक पाठ्य समितियों एवं कार्यशालाओं के विषय-विशेषज्ञ, रुहेलखंड विश्वविद्यालय, बरेली के हिंदी पाठ्य-समिति के सदस्य, हिंदी समिति, हिंदी साहित्य सम्मेलन, इलाहाबाद (प्रयागराज) के सदस्य।

विभिन्न सम्मानों से हुए सम्मानित
अमरोहा। डॉ0 कमलेश 1985 में त्रिनिदाद में अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के मुख्य वक्ता, सूरीनाम हिंदी परिषद के मुख्य वक्ता, नार्वे के स्पाइल पत्रिका के सहयोगी। विश्व हिंदी सम्मेलनों में सक्रिय सहयोग, द्वितीय विश्व हिंदी सम्मेलन, मौरिशस में निबंध प्रतियोगिता के निर्णायक, तृतीय विश्व हिंदी सम्मेलन के अवसर पर भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद, नई दिल्ली की पत्रिका ‘गगनाञ्चल’ के विश्व हिंदी अंक के विदेशी रचनाओं के सहयोगी संपादक। अनेक राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय सम्मानों से सम्मानित हुए।
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खास बात
डॉ0 कामता कमलेश ने लिखी लगभग 18 पुस्तकें

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Dr. Deepak Agarwal
Dr. Deepak Agarwal is the founder of SunShineNews. He is also an experienced Journalist and Asst. Professor of mass communication and journalism at the Jagdish Saran Hindu (P.G) College Amroha Uttar Pradesh. He had worked 15 years in Amur Ujala, 8 years in Hindustan,3years in Chingari and Bijnor Times. For news, advertisement and any query contact us on deepakamrohi@gmail.com
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