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आपरेशन गंगा और सीनियर सिटीजन का अहसास

अशोक मधुप/सनशाइन न्यूज………………..
यूक्रेन में फंसे छात्रों में 18400 आसपास भारतीय छात्र अब तक स्वदेश वापिस आ गए। उम्मीद है कि वहां बचे बाकी भारतीय छात्र भी जल्दी ही वापिस आ जाएंगे।भारत ने यूक्रेन में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों को वापिस लाने के अभियान को आपरेशन गंगा नाम दिया। यूक्रेन से भारतीयों को निकालने के अभियान की मानीटरिंग स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की।
उन्होंने इसमें केंद्र के चार मंत्रियों को लगाया गया। यूक्रेन की सीमा से सटे चार देश और 19 हजार के आसपास भारतीय छात्रों को सुरक्षित निकालना देश के सामने एक बड़ी चुनौती थी । इन मंत्रियों को इन चार अलग− अलग देशों में भेजा गया ताकि वह वहां की सरकार से समन्वय बनाकर सही से आपरेशन को कामयाब कर सकें। इन सबकी मेहनत , मिला −जुला प्रयास रंग लाया। 22 फरवरी, 2022 को अभियान प्रारंभ हुआ। अब तक 18400 के लगभग छात्र यूक्रेन से लाए गए।
इस अभियान में वायुसेना को भी लगाया गया। सूमी में फंसे 680 वे छात्र भी बसों से लेकर सीमा तक ले आये गए जो वीडियो जारी कर उन्हें न निकालने के लिए भारतीय दुतावास को जिम्मेदार बता रहे थे। वह कह रहे थे कि उन्हें कुछ हो गया तो यूक्रेन का भारतीय दूतावास जिम्मेदार होगा।इसी दूतावास ने उन्हें निकालने की जिम्मेदारी उठाई , जिसे ये कोस रहे थे।
वैसे तो यूक्रेन में कई देशों के नागरिक फंसे हैं ,लेकिन अपने लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए भारत ने दुनिया का सबसे तेज ऑपरेशन चलाया।अपने नागरिक और वहां फंसे छात्रों को बाहर निकाला। आपरेशन की कामयाबी यह है कि युद्ध के बीच ये छात्र सुरक्षित देश लौटे। एक छात्र को ही जान गवांनी पड़ी। इस अभियान की खास बात यह रहीं कि युद्धरत रूस और यूक्रेन ने तिरंगा लगी बसों को सेफ पैसेज दिया गया। खबर तो यहां तक आई कि भारतीयों की सुरक्षित निकासी के लिए रूसी सेना की तरफ से छह घंटे हमले भी रोक दिए गए थे।
इस अभियान की खास बात यह है कि भारत सरकार ऑपरेशन का पूरा खर्च खुद वहन कर रही है। छात्रों को यूक्रेन से निकालकर लाने, दूसरे सीमावर्ती देश में उनके रहने और खाने आदि की व्यवस्था करना सरल काम नही था, किंतु केंद्र सरकार के दृढ़ संकल्प के कारण यह हो सका। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि यूक्रेन में फंसे एक− एक छात्र को निकालकर लाया जाएगा। एक छात्र के भी यूक्रेन में रहने तक आपरेशन जारी रहेगा।
इस आपरेशन और भारत सरकार की कार्रवाई की पूरी दुनिया में तारीफ हो रही है। पर यूक्रेन में पढ़ने गए छात्र और उनके अभिभावकों के बयान पीड़ादायक रहे। एक छात्रा की मांग थी कि उसे मुंबई से दिल्ली अपने पैसे से आना पड़ा। सरकार यह पैसा उसे दे, क्योंकि यह छात्रों को निशुल्क लाने का दावाकर रही है। एक अभिभावक ने कहा कि उसने 50 लाख रूपये कर्ज लेकर बेटे को पढ़ने भेजा था, अब क्या होगा। उनका मन्तव्य रहा कि सरकार यह पैसा भी उसे दे। किसी की शर्त थी, कि वह भारत आएगा तो अपने पालतू कुत्ते के साथ तो किसी की जिद थी कि उसे अपनी पालतू बिल्ली लेकर प्लेन में नहीं आने दिया जा रहा।
आज सुबह मैं रोज की तरह घूमने पार्क में पहुंचा तो वहां कुछ सीनियर सिटीजन में रोज की तरह जोरदार बहस चल रही थी। आज का बहस का मुद्दा भारत सरकार का आपरेशन गंगा ही था। एक का कहना था कि भारत के नागरिक हैं , विपरीत परिस्थिति में उन्हें वापस लाने की जिम्मेदारी देश ही है, किंतु देश उनके आने और आने की व्यवस्था का खर्च क्यों उठाए।
ये छात्र वहां समाज सेवा करने नहीं गए थे। वहां से लौटकर भी समाज सेवा नहीं करेंगे। योग्य भी नहीं थे। योग्य होते तो देश के मेडिकल काँलेजों में प्रवेश मिल जाता। मां बाप ने पैसे के बल पर उन्हें यूक्रेन डाक्टर बनाने भेजा था।अब वहां से उल्टी −सीधी डाक्टरी पढ़कर अपना अस्पताल चलांएगे। मरीज देखने की मोटी फीस लेंगे। अपने मोटे कमीशन के लिए उल्टे −सीधे टैस्ट करांएगे । दवाई भी कमीशन वाली लिखेंगे। जिस तरह से बस चलेगा मरीज के परिवार को लूटेंगे।इनपर क्यों सरकारी पैसा लुटाया जा रहा हैॽ एक का कहना था कि ये पैसा देश के टैक्स पैयर ( टैक्स देने वाले नागरिक )का है। सरकार का नहीं कि खैरात बांट दे । ये कहीं और देश की जरूरत पर लगाया जा सकता था । एक अन्य की राय थी कि आज चीन के आक्रामक रूख को देखते हुए सेना के संसाधान बढाने,उसे आधुनिक शास्त्रों की खरीद पर खर्च होना चाहिए था।फालतू के लिए टैक्सदाताओं की खून पसीने की कमाई का खरबों रूपया इन पर बर्बाद कर दिया।
एक ने कहा कि यह तो जीवन के खतरे हैं। चुरू का एक व्यापारी छह माह पूर्व आठ लाख रूपये लेकर यूक्रेन गया था। युद्ध के हालात में सब छोड़कर भागना पडा, फिर तो सरकार उसके भी नुकसान की भरपाई करे।एक अन्य ने यूक्रेन से भारत लौटी उसे बेटी के अभिभावकों की प्रशंसा की जिन्होंने बेटी के भारत आने पर उसके के किराये के 32 हजार रूपया प्रधानमंत्री और मुख्य मंत्री कोष में जमाकर दिया। बहस में शामिल सबने इस बिटिया के अभिभावकों की प्रशंसा की। उनके लिए ताली बजाईं।कहा कि अन्य छात्र− छात्राओं के अभिभावकों को इस तरह की जिम्मेदारी का परिचय देना चाहिए।
एक व्यक्ति ने इसी को लेकर वायरल हो रहा एक युवती का वीडियो सबको सुनाया।इसमें भी कुछ ऐसा ही है कहा गया जो आज बहस में कहा जा रहा था।सबने इस वीडियो की तारीफ की। सबने इन छात्र और अभिभावकों के रवैये की आलोचना की ।मांग की कि सरकार इन छात्रों पर व्यय हुआ पैसा इनके परिवार से वसूल करें। देर होती देख मैंने बहस बीच में ही छोड़ खिसकना बेहतर समझा।वैसे इन सीनियर सिटीजन की बात मुझे तो सही सी लगी,आप क्या महसूस करते हैं ये आप जानेॽ
(लेखक अशोक मधुप वरिष्ठ पत्रकार हैं)

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Dr. Deepak Agarwal
Dr. Deepak Agarwal is the founder of SunShineNews. He is also an experienced Journalist and Asst. Professor of mass communication and journalism at the Jagdish Saran Hindu (P.G) College Amroha Uttar Pradesh. He had worked 15 years in Amur Ujala, 8 years in Hindustan,3years in Chingari and Bijnor Times. For news, advertisement and any query contact us on deepakamrohi@gmail.com
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