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योग शिक्षक महेश और रेनू की नजर में योग और उसका महत्व

डाॅ. दीपक अग्रवाल
अमरोहा/उत्तर प्रदेश (सनशाइन न्यूज)
महर्षि पांतजलि ने योग को दिया सुव्यवस्थित रूप।
योग परम्परा का विस्तृत इतिहास रहा है। यद्यपि इसका कुछ इतिहास नष्ट भी हो गया है, किन्तु जिस तरह श्री राम के निशान इस भारतीय उपमहाद्वीप में जगह-जगह पर मिलते हैं, ठीक उसी प्रकार योगियों और तपस्वियों के निशान भी जंगलों, पहाड़ों और गुफाओं में आज भी देखे जा सकते हैं। भगवान शंकर के बाद वैदिक ऋषि मुनियों से ही योग का प्रारम्भ माना गया है। इसके बाद कृष्ण, महावीर और बुद्ध ने अपनी तरह से योग को विस्तार दिया।
इसके पश्चात पंातजलि ने इस सुव्यावस्थित रूप दिया। इस रूप को ही आगे चलकर सिद्ध पंथ, शैवपंथ, नागपंथ, वैष्णव और शाक्त पंथियों ने अपने-अपने तरीके से योग को विस्तार दिया। योगाभ्यास का प्रमाणिक चित्रण लगभग 3000 ई.पू. सिन्धु घाटी की सभ्यता के समय की मोहरों और मूर्तियों में मिलता है। योग का प्रमाणिक ग्रंथ ‘‘योग सूत्र’’ 200 ई. पूर्व. योग पर लिखा गया पहला सुव्यवस्थित ग्रंथ है। पहली बार 200 ई. पू. पातंजलि ने वेद में बिखरी योग विद्या को सही-सही रुप में वर्गीकृत किया था।
पंातजलि के बाद, योग का प्रचलन बढ़ा और यौगिक संस्थानांे, पीठों तथा आश्रमों का निर्माण होने लगा। आधुनिक समय में योग को जन-जन तक पहुंचाने में परम सम्मानित योग गुरु बाबा रामदेव व पदमभूषण प्राप्त योग गुरु भारत भूषण का महत्पूर्ण योगदान रहा है। योग शब्द संस्कृत भाषा के युज शब्द से लिया गया है जिसका शाब्दिक अर्थ होता है जुड़ना या दो तत्वों का मिलना।
आत्मा का परमात्मा से मिलन ही योग है। योग की पूर्णता इसी में है कि जीव भाव में पड़ा मनुष्य परमात्मा से जुड़कर अपने मूल आत्मस्वरूप में स्थापित हो जाये, यही योग कहलाता है। महर्षि पांतजलि ने योग की व्यापक विवेचना की है। इसके कई सोपान है जैसे-यम नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि है। वर्तमान समय में अधिकतर लोग आसान और प्राणायाम करने को ही योग मान लेते हैं, परन्तु आसन और प्राणायाम तो सिर्फ योग के मात्र दो सोपान हैं।
योग का सम्पूर्ण स्वरुप पूरे आठ सोपानों में ही देखा जा सकता है। वर्तमान सरकार ने योग को विकसित करने के लिए योग को विद्यालयों, स्कूलों, अन्य संस्थानों में भी अनिवार्य कर दिया है। राज्य स्तरीय व राष्ट्रीय स्तरीय खेल प्रतियोगिताओं भी योग को एक खेल के रूप में रखा गया है जिससे हमारे देश के नागरिक स्वस्थ्य जीवन, निरोगी काया के साथ जीवन जी सकें।
वर्तमान सरकार ने योग के माध्यम से रोगों के उपचार को भी बढ़ावा दिया है। आज के कोरोना काल के समय में दुनिया के सभी देशों में कोरोना से बचने के लिये सभी के योग को अपनाया है। हम सब आप सब योग को अपनाएं। करें योग रहें निरोग।
लेखक-महेश कुमार प्रधानाध्यापक प्रा. वि. शेखुपुरा इम्मा, अमरोहा।
कोरोना ने स्वास्थ्य के प्रति सचेत किया
कहते हैं कि कोई भी परेशानी आती है तो हमें कुछ न कुछ जरूर सिखाती है जैसे कि सम्पूर्ण विश्व लगभग दो वर्षों से कोरोना के संकट से जूझ रहा है ऐसे में एक बात ये बहुत अच्छी है कि हम सब अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत हो गयें हैं जिनमें कुछ अच्छी आदतें शामिल हो गई हैं जैसे कि हम हमारी दिनचर्या में योग, खान पान,जीवन शैली आदि सभी के प्रति जागरूक हो गये हैं
आज सातवें अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस पर मैं डॉ रेनू ,उ॰प्रा॰वि॰ पीलाकुण्ड अमरोहा में कार्यरत , दो बार राज्य स्तरीय योग प्रतियोगिता में विजय प्राप्त,सभी देशवासियों को अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ देतीं हूँ और सभी से अपील करते हुए कहना चाहती हूँ कि योग की महिमा अपरंपार है हमें हमारे जीवन मे योग को अपनाने की आवश्यकता है योग ही ऐसा मार्ग है जिस पर चलकर आत्मिक शांति मिलती है,स्वास्थ्य स्वस्थ बनता है और अनंत सुख की अनुभूति होती हैद्य इसलिए योग को अपनायें, करें योग रहे निरोग।
आजकल मैं और मेरे परिवार के सभी सदस्य आनलाइन योग क्रियाओं में सम्मिलित हैं और यूपीवाईएसए के द्वारा राष्ट्रीय स्तर , अंतर्राष्ट्रीय स्तर के गुरुओ से मिलने का सुअवसर प्राप्त हो रहा है और विश्व में हमारे भारत का नाम योग से पहचाना जा रहा है बहुत बहुत गर्व की बात है। आप सभी स्वस्थ रहें इसी मंगलकामना के साथ ….करें योग रहे निरोग
लेखिकाः डॉ रेनू ,उ॰प्रा॰वि॰ पीलाकुण्ड अमरोहा।

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Dr. Deepak Agarwal
Dr. Deepak Agarwal is the founder of SunShineNews. He is also an experienced Journalist and Asst. Professor of mass communication and journalism at the Jagdish Saran Hindu (P.G) College Amroha Uttar Pradesh. He had worked 15 years in Amur Ujala, 8 years in Hindustan,3years in Chingari and Bijnor Times. For news, advertisement and any query contact us on deepakamrohi@gmail.com
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