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40 साल में इतनी शांत कुभ नगरी हरिद्वार कभी नजर नहीं आई

डाॅ. दीपक अग्रवाल का दो दिवसीय भ्रमण
हरिद्वार/उत्तराखंड (सनशाइन न्यूज)
विश्वविख्यात कुंभ नगरी हरिद्वार मुझे 40 साल में इतनी शांत कभी नजर नहीं आई, जितनी इस बार लगी। हालांकि गंगा की निर्मल धारा पहले से बहुत साफ नजर आई और सफाई भी पहले से बेहतर है। कुंभ के लिए हरिद्वार को सजाने और संवारने का काम भी जोरे पर है।


कोरोना काल का असर ऐसा हुआ कि हरिद्वार में अभी तक रौनक नहीं लौट पाई है। हरिद्वार दर्शन मैंने पहली बार करीब 40 साल पहले किए। उस समय मेरी उम्र 12 साल थी। उसके बाद तो हरिद्वार आना जाना लगा ही रहा। वर्ष 1995 में मैं गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय पीजी डिप्लोमा पत्रकारिता करने के लिए गया और स्टेशन के पास स्थित मुरलीमल धर्मशाला की तीसरी मंजिल पर कमरा नंबर 12 में करीब एक साल रहा। 1999 में अमर उजाला ऋषिकेश में नौकरी ज्वाइन की। यहां मैं 2001 तक रहा। जून 2001 में अमर उजाला मुरादाबाद स्थानांतरण हो गया। लेकिन तभी से साल में कम से कम दो बार हरिद्वार और ऋषिकेश भ्रमण हो ही जाता है। आत्मीयता का जो रिश्ता हरिद्वार/ऋषिकेश और वहां रहने वाले कई मित्रों से है वह इस जन्म में तो बरकरार ही रहेगा। व्यक्ति अपनी पहली नौकरी और उसके अनुभव नहीं भूल पाता है।


उत्तराखंड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय देहरादून के कुलपति डाॅ. सुनील जोशी से मुलाकात के लिए 31 जनवरी को सुबह 8 बजे उनके हरिद्वार में कनखल स्थित आवास पर पहुंचना था। लिहाजा मैं 30 जनवरी को हरिद्वार पहंुच गया।
चंडीघाट पर अमरोहा देहरादून बस से दोपहर 1.30 बजे उतरा। तुरंत ही आॅटो लेकर शांतिकुंज के लिए रवाना हुआ। वहां पहुंचकर औपचारिकता पूरी करने के बाद अंदर गया तो हर ओर सूनापन नजर आया। स्वागत कक्ष में जहां हमेशा भीड़ रहती थी मुझ समेत केवल तीन व्यक्ति थे। कुछ बच्चे पार्क में खेल रहे थे और कैंटीन भी सूनी थी। जिस कैंटीन से टोकन लेने के लिए दो साल पहले मुझे आधा घंटा लाईन में लगना पड़ा था, वहां दो व्यक्ति ही टोकन लेने वाले थे। यहां मैंने प्रज्ञा पेय लिया और ढोकला । खाने की व्यवस्था नहीं थी। लिहाजा नाश्ता कर हर की पौड़ी की ओर आ गया।
जगह-जगह कुंभ की तैयारी अंतिम चरण में चल रही थी। टीन शेड से तंबुओं के लिए आधार तैयार किया जा रहा था। लेकिन हर ओर सूनापन और अजीब सी शांति थी। सड़कों पर वाहनों की कम संख्या होने के कारण जलधाराओं का कलरव स्पष्ट सुनाई पड़ रहा था।
घूमते हुए साढ़े पांच बज गए। मैं खाना खाने के लिए गऊघाट के पास स्थित अपने मनपसंदीदा होटल पर गया। यहां भी सन्नाटा। 20 टेबिल वाले इस होटल में खाना खाने वाला मैं अकेला। 25 साल के दौरान मैंने यहां ऐसा पहली बार देखा। दो दर्जन से अधिक कर्मचारी यहां काम करते थे और आज मात्र दो ही नजर आए। यहां से खाना खाकर मैं 6 बजे हर की पौड़ी पहुंचा। यहां भी बहुत ज्यादा भीड़ नजर नहीं आई। बाजारों में भी सन्नाटा पसरा हुआ।


हालांकि कुंभ के लिए हरिद्वार को तैयार किया जा रहा है। बसंत पंचमी 16 फरवरी से चहल पहल बढ़ने की उम्मीद हर की पौड़ी के पंडों ने जताई है। 11 मार्च को महाशिवरात्रि पर पहला शाही स्नान है।

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Dr. Deepak Agarwal
Dr. Deepak Agarwal is the founder of SunShineNews. He is also an experienced Journalist and Asst. Professor of mass communication and journalism at the Jagdish Saran Hindu (P.G) College Amroha Uttar Pradesh. He had worked 15 years in Amur Ujala, 8 years in Hindustan,3years in Chingari and Bijnor Times. For news, advertisement and any query contact us on deepakamrohi@gmail.com
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