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मर्म चिकित्सा असाध्य रोगों में वरदानः डाॅं. अलका मिश्रा

डाॅ. दीपक अग्रवाल की विशेष वार्ता
हरिद्वार/अमरोहा (सनशाइन न्यूज)
देव संस्कृति विश्वविद्यालय हरिद्वार में डिर्पाटमेंट आॅफ आयुर्वेद ऐंड होल्सिटिक हैल्थ में पंचकर्म और मर्म चिकित्सा केंद्र की समन्वयक डाॅ. अलका मिश्रा का मानना है कि मर्म चिकित्सा असाध्य रोगों में वरदान है। विशेष रूप से दर्द निवारण में यह पद्धति पेन किलर से भी बेहतर कार्य करती है।
सन शाइन न्यूज के एडिटर डाॅ. दीपक अग्रवाल ने मर्म चिकित्सा के महत्व और उपयोग को लेकर देव संस्कृति विश्वविद्यालय हरिद्वार के डिर्पाटमेंट आॅफ आयुर्वेद ऐंड होल्सिटिक हैल्थ में पंचकर्म और मर्म चिकित्सा केंद्र पर डाॅ. अलका मिश्रा से विस्तार से बात की। पेश हैं वार्ता के प्रमुख अंशः
देव संस्कृति विश्वविद्यालय में जीवनदानी
करीब 10 साल से डाॅ. अलका मिश्रा देव संस्कृति विश्वविद्यालय में जीवनदानी के रूप में सेवाएं दे रही हैं। उन्होंने 2004 में राजकीय आयुर्वेद विश्वविद्यालय लखनऊ से बीएएमएस किया। जैन विश्वभारती योग विश्वविद्यालय लाडनू राजस्थान से योग में एमएससी, देव संस्कृति विश्वविद्यालय से पीजी डिप्लोमा योग में किया। आयुर्वेद में ही पीएचडी की। उन्होंने मर्म चिकित्सा विषय में पुस्तक भी लिखी है जो प्रकाशधीन है। उन्होंने मर्म चिकित्सा में उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति और मर्म चिकित्सा के मूर्धन्य विद्वान डाॅ. सुनील कुमार जोशी के अतुलनीय योगदान को नमन किया। उनके पति डाॅ. सौरभ मिश्रा आईआईटी मुंबई में प्रोफेसर थे लेकिन वह भी देव संस्कृति विश्वविद्यालय में जीवनदानी के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
मर्म स्थान प्राण के स्थान
उन्होंने बताया कि मर्म स्थान प्राण के स्थान होते हैं। मान्यता है कि मर्म स्थानों पर प्राण का वास होता है। इन पर आघात होने से विभिन्न प्रकार की विकृतियां पैदा हो जाती हैं। अगर यह कहा जाए कि मर्म स्थान पूजनीय होते हैं तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। मर्म विज्ञान और चिकित्सा भारत की अनेक गुप्त विद्याओं में से एक है।
मर्म चिकित्सा से आश्चर्यजनक रिजल्ट
डाॅ. अलका मिश्रा का मानना है कि मरीज का दसविधान से परीक्षण करने बाद ही उसे मर्म चिकित्सा की राय दी जाती है। उन्होंने बताया कि उनके केंद्र पर पंचकर्म के तहत की मर्म चिकित्सा की जाती है। आॅनलाइन और फेसबुक भी उनके व्याख्यान के माध्यम से लोगों ने मर्म चिकित्सा की और उन्हें इसका लाभ भी मिला है। मरीजों से फीडबैक लेने पर लाभ की जानकारी मिलती हैं। उन्होंने बताया कि असाध्य बीमारियों में कई बार मर्म चिकित्सा से आश्चर्यजनक रिजल्ट मिलते हैं।
स्वमर्म चिकित्सा करना आसान
उन्होंने बताया कि मर्म चिकित्सा की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि मरीज इसे सीखकर स्वमर्म चिकित्सा से रोगमुक्त हो सकता है। एक बार रोग का परीक्षण और संबंधित मर्म बिंदुओं के उत्प्रेरण की विधि को जानकर स्वमर्म चिकित्सा करना आसान हो जाता है केवल पीठ के मर्म बिंदुओं के लिए किसी की सहायता की जरूरत होती है। हाथ, पैरांे और कंधों पर स्थित अंस मर्म को स्वयं उत्प्रेरित किया जा सकता है।
इन रोगों में मर्म चिकित्सा कारगर
उन्होंने बताया कि सभी प्रकार के वात रोगों, तंत्रिका तंत्र के रोग, रक्तवाहिनियों व विभिन्न अस्थि रोगों, जन्मजात तंत्रिका एवं अस्थि विकृतियों, कमर दर्द, स्लिप डिस्क, सायटिका, स्पोंडोलाइटिस, माइग्रेन आदि बीमारियों में मर्म चिकित्सा बहुत कारगर है।

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Dr. Deepak Agarwal
Dr. Deepak Agarwal is the founder of SunShineNews. He is also an experienced Journalist and Asst. Professor of mass communication and journalism at the Jagdish Saran Hindu (P.G) College Amroha Uttar Pradesh. He had worked 15 years in Amur Ujala, 8 years in Hindustan,3years in Chingari and Bijnor Times. For news, advertisement and any query contact us on deepakamrohi@gmail.com
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