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यूजीसी की नई सौगात

0श्याम सुंदर भाटिया
मुरादाबाद/उत्तर प्रदेश। (सनशाइन न्यूज)
चैतरफा कोरोना वायरस के घुप अंधेरे में विश्वविद्यालय अनुदान-यूजीसी ने अपनी खिड़की से सूर्य की ऐसी रोशनी बिखेरी है, देश के करोड़ों युवाओं के चेहरे चमक उठे हैं। मानो, मुंह मांगे मुराद पूरी हो गई है। अंततः यूजीसी ने सालों-साल से लंबित एक साथ दो डिग्री देने के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है।
आयोग की सैद्धांतिक सहमति के बाद अब उच्च शिक्षा के ख्वाहिशमंद छात्र एक समय में दो डिग्री ले सकेंगे । अभी तक देश में एक समय में दो डिग्रियां लेना असंवैधानिक था। नए नियमों के मुताबिक एक डिग्री रेगुलर होगी तो दूसरी प्राइवेट या दूरस्थ शिक्षा के तहत मान्य होगी। कहने का अभिप्राय है, कोई भी विद्यार्थी एक समय में रेगुलर छात्र की हैसियत से दो अलग-अलग स्ट्रीम में प्रवेश नहीं ले सकेगा। आयोग ने इस ऐतिहासिक निर्णय को लागू करने का फैसला देश की यूनिवर्सिटीज पर छोड़ा है। यूनिवर्सिटी इसे 2020 – 21 से लागू या फिर इसका क्रियान्वयन 2021 -22 सत्र से करें।
बतौर यूजीसी, स्टुडेंट्स अब एक ही समय में एक या अलग-अलग स्ट्रीम में स्टडी कर सकते हैं। कोई डिप्लोमा भी मान्य होगा। यह सहूलियत केवल कॉलेज और यूनिवर्सिटी स्तर पर स्टडी के इच्छुक छात्र – छात्रों के लिए होगी। यदि आप 2 डिग्री कोर्सेज की पढ़ाई एक साथ करने की तैयारी में हैं, तो एक रेगुलर फॉर्मेट पर होगी तो दूसरी डिग्री को ऑनलाइन डिस्टेंस लर्निंग मोड-ओडीएल- ऑनलाइन डिस्टेंस लर्निंग फॉर्मेट पर होगी । यह फैसला पूर्णतः आप पर निर्भर करेगा, आप किस कोर्स की पढ़ाई किस मोड में करना चाहते हैं।
यूजीसी सचिव डॉ. रजनीश जैन का मानना है, छात्रों को अब दोहरी डिग्री लेने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। आयोग इसकी अधिसूचना भी जल्द ही जारी करेगा । यूजीसी ने 2019 में आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. भूषण पटवर्धन की अध्यक्षता में एक समिति गठित की थी। ये महत्वपूर्ण संस्तुतियां पटवर्धन आयोग की ही हैं। इस समिति को यह विचार करना था, एक ही समय में दो डिग्रियां एक ही विश्वविद्यालय से मान्य हो या अलग-अलग यूनिवर्सिटीज से। किसी एक विश्वविद्यालय या अलग – अलग विश्वविद्यालय या दूरस्थ शिक्षा माध्यम या ऑन लाइन फॉर्मेट से एक साथ दो डिग्रियां करने का आखिर क्या तरीका हो ? उल्लेखनीय है, 2012 में यूजीसी ने नामचीन शिक्षाविद एवम् हैदराबाद यूनिवर्सिटी के तत्कालीन वीसी प्रो. फुरकान कमर की अध्यक्षता में ऐसी ही एक समिति गठित की थी। फुरकान कमर कमेटी की सिफारिशों को वैधानिक परिषद को सौंप दिया गया था, लेकिन परिषद एक समय में दो डिग्रियां देने के पक्ष में नहीं थी। इसके बाद फुरकान समिति की रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
दूसरी ओर दोहरी डिग्री के आवेदकों के सामने भी चुनौतियां कम न होगी। सबसे बड़ा और कड़ा इम्तिहान डिग्रियों के कॉम्बिनेशन को लेकर होगा। जाहिर तौर पर किसी भी स्टुडेंट की टॉप प्रियॉर्टी रेगुलर डिग्री ही होगी लेकिन समानांतर डिग्री कौन – सी हो ? ऐसे ही पीजी के साथ पीजी या पीजी के साथ कौन- सी यूजी की डिग्री या डिप्लोमा उसके रिज्यूम और कौशल को और कैसे मजबूत बनाएंगे,ये ऐसे सवाल हैं,जिनका माकूल जवाब चाहिए। ऐसे में पैरेंट्स के संग – संग टीचर्स और काउंसलर्स की भूमिका बढ़ जाएगी। बहरहाल आयोग का नोटिफिकेशन भी तमाम सवालों का जवाब देगा, स्टुडेंट्स की दशा और दिशा क्या होगी। पोस्ट कोविद बाजार में जॉब की क्या और कैसी डिमांड होगी, दोहरी डिग्री के समन्वय में इसका रोल भी अहम रहेगा।

कड़वा सच तो यह है, यूजीसी ने उच्च शिक्षा की स्पीड बढ़ाने को डबल इंजन दे दिया है। अब हम सबकी परीक्षा की बारी है। यह केवल आयोग की परीक्षा ही नहीं होगी बल्कि देश भर की यूनिवर्सिटीज की फैकल्टी और स्टुडेंट्स का भी कड़ा इम्तिहान होगा। कोई भी बड़ा बदलाव हमारी कड़ी परीक्षा लेता है। हम इस परीक्षा में कितने सफल होंगे, ये आने वाले वर्ष तय करेंगे।

महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी के मीडिया स्टडीज विभाग के डीनध् एचओडी प्रो. अरुण कुमार भगत यूजीसी के दोहरी डिग्री को मान्यता देने के इस सैद्धांतिक फैसले को सकारात्मक मानते हैं। कहते हैं, इसमें सुनहरे भविष्य की तमाम संभावनाएं हैं। आयोग का यह ऐतिहासिक निर्णय स्वागत योग्य है। आदर योग्य है। इससे जॉब के स्वर्णिम द्वार खुलेंगे। स्वाध्याय की वकालत करते हुए बिहार के नामचीन साहित्यकार आचार्य श्री शिव पूजन सहाय का उदाहरण देते हैं। कहते हैं, शिक्षा के तौर पर भले ही वह मैट्रिक थे, लेकिन उन्होंने प्रोफेसर जैसे पद को सुशोभित किया। 1960 में उन्हें साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट सेवाओं के लिए पद्म भूषण से नवाजा गया था।

उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के सदस्य एवं शिक्षाविद डॉ हरबंश दीक्षित कहते हैं, एक समय में दो डिग्री करने से छात्रों को समय की बचत होगी। सामान्य ज्ञान की धार और धारदार होगी। युवा विशेषज्ञता भी हासिल करेंगे। यूजीसी का यह फैसला उच्च शिक्षा प्राप्त करने के ख्वाहिशमंद छात्रों के लिए मील का पत्थर साबित होगा, बशर्ते छात्र पास होने के लिए कोई हथकंडा न अपनाएं। डॉ. दीक्षित ने यूजीसी के इस कदम को स्वर्णिम मौका करार दिया ।

जम्मू केंद्रीय विश्वविद्यालय में पत्रकारिता विभाग के डीन प्रो. गोविंद सिंह कहते हैं, यूजीसी की इस सौगात में मेरिट्स ही मेरिट्स हैं। स्टुडेंट्स के लिए जॉब के लिए स्वर्णिम विकल्प खुलेंगे। हालांकि यह फैसला लंबे समय से लंबित था, दोहरी डिग्री व्यवस्था लागू की जाए या नहीं। अब डबल डिग्री का मार्ग प्रशस्त होने से उच्च शिक्षा में युवाओं को उड़ान के लिए नए पंख मिल गए हैं। प्रो. सिंह कहते हैं, आयोग का नोटिफिकेशन आना बाकी है। यदि पीएचडी के साथ किसी और डिग्री लेने के प्रावधान भी हैं तो रिसर्च स्कॉलर्स को दुश्वारियां हो सकती हैं। ऐसे में शोधकर्ताओं का ध्यान विकेंद्रित होने का अंदेशा है।

अपभ्रंश भाषा के विद्वान डॉ. योगेंद्र नाथ शर्मा अरुण यूजीसी के दोहरी डिग्री के फैसले को दो नाव में सवार होने की संज्ञा देते हैं। डॉ. अरुण कहते हैं, इसकी व्यावहारिकता देखनी होगी। मौजूदा वक्त में देशभर के विश्वविद्यालयों के पास संसाधनों का टोटा है। उच्च शिक्षा में सेमेस्टर सिस्टम से भी वह संतुष्ट नहीं हैं। कहते हैं, तकनीकी शिक्षा में तो सेमेस्टर सिस्टम ठीक है, लेकिन बाकी कोर्सों में सेमेस्टर सिस्टम लागू नहीं होना चाहिए।

देश के जाने-माने समालोचक डॉ. मूलचंद गौतम कहते हैं, मल्टी डिसीप्लिनरी के द्वार खुल रहे हैं। आज के कड़े प्रतिस्पर्धा युग में यह जरूरी है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में पैठ बनाने के लिए बहुभाषी होना जरूरी है। डॉ. गौतम कहते हैं, यूजीसी को डबल डिग्री की मानिंद अब बंद और विंडोज भी खोलनी चाहिए। हायर एजुकेशन में उम्र के बंधन को ही समाप्त कर देना चाहिए।

( लेखक सीनियर जर्नलिस्ट और रिसर्च स्कॉलर हैं। दो बार यूपी सरकार से मान्यता प्राप्त हैं। हिंदी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित करने में उल्लेखनीय योगदान और पत्रकारिता में रचनात्मक भूमिका निभाने के लिए बापू की 150वीं जयंती वर्ष पर मॉरिशस में पत्रकार भूषण सम्मान से अलंकृत किए जा चुके हैं। )

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Dr. Deepak Agarwal
Dr. Deepak Agarwal is the founder of SunShineNews. He is also an experienced Journalist and Asst. Professor of mass communication and journalism at the Jagdish Saran Hindu (P.G) College Amroha Uttar Pradesh. He had worked 15 years in Amur Ujala, 8 years in Hindustan,3years in Chingari and Bijnor Times. For news, advertisement and any query contact us on deepakamrohi@gmail.com
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