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ऑनलाइन शिक्षण की सफलता: शिक्षिका प्रीति का विश्लेषण

डाॅं. दीपक अग्रवाल
अमरोहा/उत्तर प्रदेश। (सनशाइन न्यूज)
कक्षा 1 से 12 तक का नया सत्र एक अप्रैल से प्रारम्भ होता है। चाहे वह यूपी बोर्ड का हो या सीबीएसई। पिछले वर्षों से सत्र नियमानुसार एक अप्रैल से प्रारम्भ होता चला आ रहा है। परंतु इस बार कोरोना संक्रमण के कारण सत्र एक अप्रैल से प्रारम्भ नहीं हो पाया क्योंकि लॉक डाउन के कारण विद्यालय बन्द थे।
लॉकडाउन की अवधि बढ़ते रहने से बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए शासन द्वारा ऑनलाइन क्लासेज की व्यवस्था कर नए सत्र को शुरू किया गया। इस प्रकार सभी राजकीय, सहायता प्राप्त माध्यमिक, वित्तविहीन व अन्य विद्यालयों में ऑनलाइन कक्षायें व्हाट्सअप ग्रुप बनाकर प्रारम्भ हो गयी ।
व्हाट्सअप ग्रुप बनने से बच्चों में एक उत्साह आया तथा धीरे धीरे ग्रुप्स में बच्चों की संख्या बढ़ने लगी। आज की स्थिति यह है कि सभी विषयों की ऑनलाइन कक्षाएं नियमित रूप से चल रही हैं। शिक्षक/शिक्षिकाओं द्वारा अध्यापन कार्य टाइम टेबल बनाकर प्रातः 8 बजे से अपरान्ह 2 बजे तक रुचिपूर्ण ढंग से कराया जा रहा है। परिवर्तन तो प्रकृति का नियम है, जो इस परिवर्तन के साथ आगे बढ़ते हैं वही सफल होते हैं।
कोरोना के बढ़ते संक्रमण से अभी विद्यालय खुलने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं। ऐसे में बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए घर पर शिक्षण का ही विकल्प सबसे बेहतर है। परन्तु समस्या यह है कि अधिक से अधिक छात्र/छात्राएं ऑनलाइन कक्षाओं से किस प्रकार लाभान्वित हों। क्योंकि काफी परिवार ऐसे भी हैं जिनके पास स्मार्ट फोन नहीं हैं। अगर उन बच्चों तक यह लाभ नही पहुंच पाता है तो उनके साथ यह नाइंसाफी होगी।
अतः ऑनलाइन कक्षाओं के सफल क्रियान्वन के लिए यह बहुत आवश्यक है कि यह लाभ हर छात्र/छात्रा तक पहुंच जाए। इसके लिए शिक्षा प्रसार हेतु एक चेन बनाना ठीक होगा। चेन बनाने से मतलब यह है कि जिन बच्चों के स्मार्ट फोन है पढ़ाई वे उन बच्चों की सहायता करें जिनके पास स्मार्ट फोन नहीं हैं।
व्हाट्सअप ग्रुप पर शिक्षण कार्य कराने का एक लाभ यह भी है कि इसमें शिक्षण के समय जो वीडियो, फोटो या वॉइस रिकॉर्डिंग भेजी जाती है वह सुरक्षित रहती है, जिसे छात्रों द्वारा समझने के लिए बार बार देख सकता है। इस सुरक्षित शिक्षण सामग्री को एक दूसरे तक कोरोना सक्रमण से बचाव के तरीकों को अपनाकर तथा सतर्क रहते हुए भी पहुंचाया जा सकता है। जिससे कोई भी छात्र/छात्रा इस लाभ से वंचित न रहे। जहां चाह वहां राह।
निष्कर्षतः कोई समस्या तब तक ही समस्या है जब तक हम समाधान के विकल्प के बारे में विचार नहीं करते। एक बार यदि हमने समाधान के विषय मे सोचना प्रारम्भ कर दिया तब समस्या को समाप्त होने में समय नहीं लगेगा। बस जरूरत है नयी दिशा में सोचने की। ऑनलाइन कक्षाओं की सफलता पूर्णतया इस पर निर्भर करती है कि हमारे सभी बच्चे चाहे वो किसी भी वर्ग के हो इनसे लाभान्वित हों। एक चेन द्वारा अगर इस ज्ञान प्रवाह को हर छात्र/छात्रा तक पहुंचाया जाए तो कितना अच्छा हो जिससे हर बच्चा नियमित रूप से ऑनलाइन क्लासेज के शिक्षण का लाभ उठा सकें।
लेखिका: प्रीति चैधरी (शिक्षिका)
राजकीय बालिका इंटर कालेज
हसनपुर-जिला अमरोहा।

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Dr. Deepak Agarwal
Dr. Deepak Agarwal is the founder of SunShineNews. He is also an experienced Journalist and Asst. Professor of mass communication and journalism at the Jagdish Saran Hindu (P.G) College Amroha Uttar Pradesh. He had worked 15 years in Amur Ujala, 8 years in Hindustan,3years in Chingari and Bijnor Times. For news, advertisement and any query contact us on deepakamrohi@gmail.com
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