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राष्ट्रपति, राय, हाईकोर्ट और स्थानीय भाषा में बहस

डॉ.दीपक अग्रवाल/भोलानाथ मिश्र
राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक कार्यक्रम स्थानीय भाषा में बहस पर जोर देकर अंग्रेजी की मानसिकता को छोड़ने और एक तरह से मातृभाषा हिंदी समेत अन्य भाषाओं को आगे बढ़ाने का संकेत दिया है। जो कि स्वागत योग्य है। ऐसा होने पर आमजन भी समझ पाएगा कि कोर्ट में क्या हो रहा।
दुनिया के सभी देश अपने कार्य व्यवहार में अपने देश की मातृभाषा का इस्तेमाल करते हैं किन्तु अकेला भारत ऐसा देश है कि जहाँ आज भी हिन्दी की जगह अधिकांश कार्य व्यवहार अंग्रेजी में होता है।
अंग्रेज भले ही हमारे देश से चले गये हो लेकिन अंग्रेजी आज भी अपना दबदबा बनाये हुये है और तमाम लोग उसके गुलाम बने हुये हैं।चाहे सरकारी कार्यालय हो चाहे बैंक हो चाहे अदालत हो हर जगह अंग्रेजी का भरपूर इस्तेमाल होता है।
यहीं कारण है कि भोलीभाली हिन्दी भाषी जनता जानकारी के अभाव में धोखाधड़ी का शिकार हो जाती है। जब कभी कोई विदेशी राजनेता हमारे यहाँ आता है तो अपने देश की मातृभाषा बोलता है और दुभाषिया उसका रूपांतरण करता है लेकिन हमारे देश के नेता जब विदेश जाते हैं तो अपनी मातृभाषा की जगह अंग्रेजी का इस्तेमाल करते हैं। आज हिन्दी अपनों की ही उपेक्षा की शिकार होकर सिसकियां भर रही है।
मातृभाषा हिन्दी को आजाद करने की मांग आजादी के समय से ही की जा रही है फिर भी वह आज तक गुलाम बनी हुयी है। महामहिम राष्ट्रपति ने इस दिशा में एक न्यायिक कार्यक्रम के दौरान एक स्वागत योग्य पहल की है और न्यायिक समारोह में इस पर चिंता व्यक्त करते हुए अदालती कार्य व्यवहार अंग्रेजी की जगह हिन्दी में करने की सलाह दी है। यह पहला अवसर है जबकि देश के प्रथम नागरिक महामहिम राष्ट्रपति ने हिन्दी की वकालत की है। हिन्दी का उद्भव हमारी देवभाषा संस्कृत से हुआ है जबकि अन्य भाषाओं का उद्भव हिन्दी से हुआ है।
कुछ लोग हिन्दी में बात करना अपनी बेइज्जती मानते हैं और अंग्रेजी बोलने में गर्व महसूस करते हैं। हिन्दी की उपेक्षा के पीछे यह तर्क दिया जाता है कि अंग्रेजी विश्व की भाषा है तथा इसीलिए सभी लोग अंग्रेजी को प्रमुखता दे रहें हैं।
महामहिम राष्ट्रपति महोदय की चिंता और मशविरा इस दिशा में अनूठीं पहल है और इस पहल की जितनी प्रशंसा की जाय उतनी कम है।
अपनी मातृभाषा का जब अपने ही देश में इस्तेमाल नहीं होगा तो क्या दूसरे देश में होगा? इसके लिए जरुरी है कि चाहे बैंक हो चाहे अदालत हो चाहे कोई भी सरकारी अर्द्धसरकारी कार्य हो उसे हिन्दी में होना आवश्यक है क्योंकि देश की आधी आबादी अंग्रेजी नहीं जानती है।

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Dr. Deepak Agarwal
Dr. Deepak Agarwal is the founder of SunShineNews. He is also an experienced Journalist and Asst. Professor of mass communication and journalism at the Jagdish Saran Hindu (P.G) College Amroha Uttar Pradesh. He had worked 15 years in Amur Ujala, 8 years in Hindustan,3years in Chingari and Bijnor Times. For news, advertisement and any query contact us on deepakamrohi@gmail.com
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