Thursday, April 25, 2024
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सत्ता परिवर्तन संग व्यवस्था परिवर्तन भी जरूरी

डॉ.दीपक अग्रवाल/भोलानाथ मिश्र

सत्ता परिवर्तन के साथ व्यवस्था परिवर्तन जरूरी होता है और सरकार व्यवस्था परिवर्तन करने की दिशा में भगीरथी प्रयास भी कर रही है।इसके बावजूद व्यवस्था में आशातीत परिवर्तन नहीं हो पा रहा है और हरामखोर अपनी हरामखोरी में परिवर्तन नहीं ला पा रहे हैं। भ्रष्टाचार योगीराज में भी जारी है और हरामखोरी के चक्कर में आमजनता के जीवन को दाँव पर लगाया जा रहा। लोग समझ रहे थे कि योगीजी की सरकार में जल्दी कोई हरामखोरी करने की हिम्मत नहीं कर सकेगा लेकिन अभी भी एक से बढ़कर हिम्मती हरामखोर लोग व्यवस्था से जुड़े हैं जो अपनी हरामखोरी से बाज नहीं आ रहें हैं।इन हरामखोरों ने योगीजी की बेदाग सरकार में आखिरकार दाग लगा ही दिया। अभी दो दिन पहले राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन से जुड़ी हरामखोरी का पर्दाफाश हुआ है किन्तु यह भंडाफोड़ समय रहते हो गया और सरकार ने मैरिट सूची निरस्त करके प्रदेश के हजारों लोगों के जीवन को बचा लिया गया।सरकार स्वयं मानती है कि अगर तैयार की गयी मैरिट सूची को सही मानक के अनुरूप मानकर पैरामेडिकल स्टाफ की भर्ती कर ली गई होती तो गलत अयोग्य अभ्यर्थियों का चयन हो जाता।यह अयोग्य अभ्यर्थी कितने लोगों का स्वास्थ खराब करते यह कहना असंभव है। स्वास्थ्य से जुड़े मामलों में इस तरह की लापरवाही जनजीवन से खिलवाड़ करने जैसा है। सरकार द्वारा चयनित चार हजार बहत्तर अभ्यर्थियों की सूची में से दो सौ अठ्ठावन लोगों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। साथ ही राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन एन एच एम के महाप्रबंधक को निलंबित कर दिया गया है।इतना सब होने के बावजूद स्वास्थ्य मंत्री रीता बहुगुणा जोशी जी नही मानती हैं कि भर्तियां में धांधली हुयी है और उनका कहना है कि भर्ती परीक्षा एन एच आर सी ने कराई है इसलिए इसमें कोई गड़बड़ी नहीं हो सकती है।वह इसे गलती को तकनीकी भूल मानती हैं जो गलती से हो गयी है। लगता है कि इस घोर कलियुग एवं भ्रष्टाचार के जमाने में भी एनएचआरसी के सारे लोग हरिश्चंद के खानदानी हैं। सवाल तो यह है तकनीकी गड़बड़ी थी तो इस पर गौर क्यों नहीं किया गयाघ् अगर भर्ती सही थी तो अयोग्य लोग कैसे उसमें शामिल हो गयेघ् सवाल पैरामेडिकल स्टाफ की भर्ती का नहीं है बल्कि सवाल यह है कि यह गड़बड़ी का यह सिलसिला कब से चल रहा थाघ् यह तो संयोग मात्र है कि इसका भंडाफोड़ हो गया और दो सौ अठ्ठावन अयोग्य लोगों को हटा दिया गया। इस तरह के खेल ने ही पूरी व्यवस्था को दूषित कर दिया है। एन एच आर एम घोटाला इसका ज्वलंत उदाहरण है जिसकी जांच आज भी सीबीआई कर रही है। स्वास्थ्य विभाग की भर्ती में कहाँ कहाँ कब कब तकनीकी गड़बडी हुयी होगी इसका अंदाज लगा पाना कठिन है। इस मामले में एन एच एम के निदेशक का कहना है कि पुरानी सूची को निरस्त करके मानक के अनुरूप दूसरी सूची बनाकर जारी कर दी गयी है।यह सरकार की नेकनीयती का प्रतीक है क्योंकि अबतक गेहूं के साथ घुन पीसने की परम्परा थी जिसे तत्काल योग्य लोगों की सूची जारी करके तोड़ दिया गया है।अबतक पूरी की पूरी सूची ही नहीं बल्कि परीक्षा भी ही निरस्त करने की परम्परा थी।सरकार का यह फैसला योग्य अभ्यर्थियों के साथ इंसाफी और उनका उत्साहवर्धन करने जैसा है। अयोग्य चाहे डाक्टर कम्पाउंड नर्स या पैरा स्टाफ या इंजीनियर वैज्ञानिक रक्षक अथवा चालक हो।अयोग्य के हाथों लगाम थमाना राष्ट्रद्रोह जैसा जघन्य अपराध जैसा है।

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Dr. Deepak Agarwal
Dr. Deepak Agarwal is the founder of SunShineNews. He is also an experienced Journalist and Asst. Professor of mass communication and journalism at the Jagdish Saran Hindu (P.G) College Amroha Uttar Pradesh. He had worked 15 years in Amur Ujala, 8 years in Hindustan,3years in Chingari and Bijnor Times. For news, advertisement and any query contact us on deepakamrohi@gmail.com
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