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जेएस कालेज राष्ट्रीय संगोष्ठीः हिंदी राष्ट्र को एकता के सूत्र में बांधती

डाॅ.दीपक अग्रवाल
अमरोहा/उत्तर प्रदेश (सनशाइन न्यूज)

16 फरवरी 2023 को जगदीश सरन हिंदू स्नातकोत्तर महाविद्यालय अमरोहा एवं केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय (16-17 फरवरी 2023) राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ किया गया। स्वाधीनता आंदोलन और खड़ी बोली हिंदी विषय पर आधारित इस शोध संगोष्ठी का उद्घाटन सत्र प्रातः 10 बजे वैदिक मंत्रोच्चार से हर्षोल्लास पूर्वक शुरू किया गया, जिसमें देश के विभिन्न शिक्षाविदों, भाषाविदों और शोधार्थियों ने भाग लिया।
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल का संदेश
सर्वप्रथम दीप प्रज्ज्वलन एवं मंगलाचरण व अतिथि स्वागत के पश्चात महामहिम राज्यपाल आनंदीबेन पटेल का संगोष्ठी की सफलता हेतु महाविद्यालय के प्राचार्य के लिए आए संदेश का वाचन किया गया। केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा की निदेशक प्रोफेसर बीना शर्मा ऑनलाइन जुड़ी और उद्घाटन सत्र में अपना वक्तव्य देते हुए उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन काल के हिंदी साहित्यकारों की काव्य साधना व योगदान को रेखांकित किया। महाविद्यालय प्रबंध समिति के मंत्री श्री योगेश कुमार जैन ने आगंतुक विद्वानों का स्वागत करते हुए शोधार्थियों को नये नये विषयों पर शोध करने की प्रेरणा दी और महाविद्यालय द्वारा सम्यक सहयोग का आश्वासन भी दिया।
हिंदी की विकास यात्रा पर प्रकाश
हिंदी विभाग दिल्ली विश्वविद्यालय दिल्ली के प्रोफेसर एवं उद्घाटन सत्र के मुख्य वक्ता प्रोफेसर पूरन चंद टंडन ने बीज वक्तव्य देते हुए मुगल काल से लेकर स्वतंत्रता प्राप्ति तक और स्वतंत्रता प्राप्ति से अधुनातन खड़ी बोली हिंदी की विकास यात्रा पर प्रकाश डालते हुए इसे समाज सुधार, जनवादी आंदोलन व स्वतान्त्र्य चेतना के प्रसार हेतु सशक्त संपर्क माध्यम बताया। साथ ही प्रोफेसर टंडन ने भारतेन्दु मंडल व द्विवेदी युगीन साहित्यकारों के रचना संसार के महत्व का भी उल्लेख किया।
स्वाधीनता आंदोलन में हिंदी का योगदान

एसएसवी कॉलेज हापुड़ के सेवानिवृत्त आचार्य व संगोष्ठी के मुख्य वक्ता प्रोफेसर तिलक सिंह ने खड़ी बोली हिंदी के विभिन्न रूपों को बताते हुए स्वाधीनता संग्राम में संपर्क भाषा के रूप में इसका महत्व रेखांकित किया उन्होंने महात्मा गांधी जी द्वारा समाज में प्रचारित हिंदुस्तानी पर शोधकार्यों की आवश्यकता भी जताई। मुख्य अतिथि डॉ बीएन सिंह ने कहा कि हिंदी संस्कृत से निकली हुई लोकप्रिय भाषा है, जो राष्ट्र को एकता के सूत्र में बांधने में सक्षम है। सत्र के अध्यक्ष प्रोफेसर एस बी एस रावत ने स्वाधीनता आंदोलन में हिंदी का योगदान अविस्मरणीय बताया और अपनी स्वरचित कविता का पाठ भी किया। साथ ही प्रोफेसर रावत ने जे.एस. हिंदू कॉलेज अमरोहा के शैक्षणिक कार्यों की सराहना भी की।
संस्कृति के प्रति समर्पण भाव
उद्घाटन सत्र में पधारे सभी प्राध्यापकों व शोधार्थियों का धन्यवाद करते हुए प्राचार्य प्रोफेसर वीर वीरेंद्र सिंह ने कहा कि यह संगोष्ठी शोधार्थियों की खड़ी बोली से संबंधित शोध के नये नये आयामों और क्षेत्रों से अवगत कराएगी। भावी पीढ़ियों में स्वतंत्रता, स्वदेश, स्वभाषा और संस्कृति के प्रति समर्पण भाव पैदा करेगी। इस अवसर पर संगोष्ठी के संयोजक डॉ बबलू सिंह ने पधारे मंचासीन विद्वानों का परिचय भाषण देते हुए कार्यक्रम की विस्तृत रूपरेखा बताई और कहा कि 2 दिनों तक लगभग 400 विद्वान शोधार्थी इस संगोष्ठी में भाग लेंगे।
शोधार्थियों ने शोधपत्रों का वाचन भी किया
उद्घाटन सत्र का संचालन संस्कृत विभाग के अध्यक्ष डॉ अरविंद कुमार ने किया, उन्होंने अपनी स्वरचित हिंदी कविताओं से भी श्राताओं का मन मोहा। मध्याह्न भोजन के उपरांत 2 बजे से विशिष्ट व्याख्यान अथवा तकनीकी सत्र आयोजित किया गया, जिसकी अध्यक्षता प्रोफेसर पूजन प्रसाद ने की, इस सत्र में विभिन्न शोधार्थियों ने शोधपत्रों का वाचन भी किया गया। श्रद्धानंद कॉलेज दिल्ली विश्वविद्यालय से पधारे प्रोफेसर प्रदीप कुमार ने संप्रेषण को अधिक प्रभावी बनाने हेतु निज भाषा की आवश्यकता बताई और कहा कि स्वाधीनता के लिए केवल सशस्त्र संघर्ष ही नहीं अपितु सांस्कृतिक, वैचारिक व साहित्यिक चेतना भी अपेक्षित होती है, जिसमें लोकभाषा महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। खड़ी बोली हिंदी वही लोक भाषा है।
हिंदू कॉलेज मुरादाबाद के संस्कृत विभागाध्यक्ष प्रोफेसर कर्मवीर आर्य ने स्वाधीनता आंदोलन तथा सांस्कृतिक पुनर्जागरण के पुरोधा स्वामी दयानंद सरस्वती के हिंदी प्रेम के विषय में बताया। उन्होंने कहा कि एक गुजरातीभाषी एवं संस्कृत अध्येता होते हुए भी स्वामी दयानंद सरस्वती ने सभी ग्रंथ हिंदी में लिखें, यह एक प्रेरणास्पद कार्य था। आर्य समाज के द्वारा हिंदी के लिए किए गए कार्यों का भी उन्होंने विस्तार से वर्णन किया। इस सत्र में बोलते हुए महाविद्यालय की पूर्व प्राचार्या वन्दना रानी गुप्ता ने हिंदी की काव्यगत विशेषताओं और स्वतन्त्रता आंदोलन में उसकी जनप्रियता पर वक्तव्य दिया। डॉक्टर बीएस वर्मा ने खड़ी बोली के इतिहास पर और डॉ रमेश कुमार सिंह ने हिंदी की मूल्य संपदा व सांस्कृतिक धरोहर संरक्षण के सामर्थ्य पर व्याख्यान दिया। अंत में प्रोफेसर पूजन प्रसाद ने अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए हिंदी के वैश्वीकरण के सूत्र दिए साथ ही उन्होंने पढ़ें गये शोध-पत्रों की समीक्षा भी प्रस्तुत की। इस सत्र के अंत में डॉ मनन कौशल ने आयोजन समिति की ओर से धन्यवाद ज्ञापित किया। तकनीकी सत्र का संचालन डॉ. विशेष कुमार राय ने किया। इस अवसर पर डॉ अनिल रायपुरिया डॉ संजय जौहरी डॉ संगीता धामा मोहम्मद जावेद राजीव कुमार पीयूष कुमार शर्मा डॉ हरेंद्र कुमार केंद्रीय हिंदी संस्थान के प्रतिनिधि राजीव कुमार आदि के साथ-साथ अनेक शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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Dr. Deepak Agarwal
Dr. Deepak Agarwal is the founder of SunShineNews. He is also an experienced Journalist and Asst. Professor of mass communication and journalism at the Jagdish Saran Hindu (P.G) College Amroha Uttar Pradesh. He had worked 15 years in Amur Ujala, 8 years in Hindustan,3years in Chingari and Bijnor Times. For news, advertisement and any query contact us on deepakamrohi@gmail.com
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