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अशोक निर्दोष की पुस्तक ‘चिंतन के स्वर‘ हर किसी के लिए प्रेरणापुंज

डॉ. दीपक अग्रवाल
अमरोहा/उत्तर प्रदेश (सनशाइन न्यूज)
सेवानिवृत्त शिक्षक/राजपत्रित अधिकारी और बिजनौर में स्थायी लोक अदालत के पूर्व न्यायाधीश अशोक निर्दोष की पुस्तक चिंतन के स्वर जो कि 17 निबंधों का संग्रह है हर पाठक के लिए प्रेरणादायी और जीवन के विभिन्न पहलुओं से जोड़ने का सफल प्रयास है। एक ओर विभिन्न समस्याओं को उठाया गया तो वहीं कुछ समाधान भी दिए गए। इसके इतर प्रकृति और देश के लिए कुछ करने का संदेश भी दिया गया। यह पुस्तक समाज के हर वर्ग के लिए प्रेरणापुंज का कार्य करेगी।
मंच के सफल संचालक, कवि, लेखक और व्यवहारकुशलता के धनी अशोक निर्दोष जी से मेरी अप्रत्यक्ष मुलाकात तो कई साल पहले बिजनौर में अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन में अग्रणी रहे मेरे ससुर महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय आनंद प्रकाश गुप्ता उर्फ आनंद भाई ने कराई थी। बहुदा वह बातचीत के दौरान श्री निर्दोष जी का जिक्र करते थे। वह बहुत पारखी थे अगर किसी की तारीफ कर रहे हैं तो इसका मतलब उस व्यक्ति के अंदर प्रतिभा है। लेकिन दुर्भाग्य यह रहा कि श्री निर्दोष जी से मुलाकात तब हो पाई जब आदरणीय आंनद भाई ब्रहमलीन हो गए। अब जब मुलाकात हुई तो जैसा आदरणीय गुप्ता जी ने श्री निर्दोष जी के बारे में बताया था वैसा ही व्यवहार और प्रतिभा देखने को मिली।
इंटरनेट और सोशल मीडिया के इस दौर मंे जब पुस्तकों का पाठन-पाठन दूर की कौड़ी होता जा रहा है ऐसे समय में एक साथ तीन पुस्तकों का प्रकाशन हकीकत में श्री निर्दोष जी का अभिनंदनीय प्रयास है। उन्होंने तीनों पुस्तकों को बिजनौर से डाक के माध्यम से मेरे पास समीक्षा के लिए भेजा, इसके लिए उन्हेें साधुवाद। अगर वह पुस्तकों की समीक्षा की शर्त न रखते तो शायद मैं उनकी पुस्तकों को देखकर अपनी अलमारी में उठाकर रख देता और समय मिलने का इंतजार करता। ऐसी कई पुस्तकें जिन्हें मैं पढ़ना चाहता हूं समय का इंतजार कर रही है जो नहीं मिल पाता है।
अभी दो दिन पहले बड़े भाई श्री निर्दोष जी का मैसेज आया कि पुस्तक की समीक्षा का इंतजार है उनके इस मैसेज ने मुझे पुस्तकों को पढ़ने के लिए प्रेरित किया। मैंने उनका मैसेज पढ़ने के बाद ‘चिंतन के स्वर‘ पुस्तक को अलमारी से निकाल कर मेज पर रख दिया। जिससे कि पढ़ने का ध्यान रहे। मैं इस बात का यहां इसलिए उल्लेख कर रहा हूं अगर हर लेखक श्री निर्दोष जी जैसा आग्रह करे तो हमारी पुस्तकों को पढ़ने की आदत बरकरार रह सकती है।
श्री निर्दोष जी मूलतः एक शिक्षक रहे हैं इसीलिए उनकी लेखनी में समाज को दिशा देने की प्रवृत्ति अनायास ही समाहित होती नजर आ रही है। उनकी पुस्तक ‘चिंतन के स्वर‘ का पहला निबंध ‘राष्ट्रीय एकता के लिए शिक्षा‘ संदेश देता है कि राष्ट्र को सबल तथा सफल बनाने के लिए नागरिकों में राष्ट्रीयता की भावना विकसित करना परम आवश्यक है।
लड़कियांे की कम होती आबादी पर चिंता जताते हुए उन्होंने ‘कन्या भ्रूण-हत्या एक स्वयंभू अभिशाप‘ निबंध में कानूनन प्रतिबंध के बावजूद कन्या भ्रूण हत्या पर प्रश्न चिह्न लगाया है।
‘बच्चे! कैसे रहें पढ़ाई की टेंशन से दूर‘ निबंध में उन्होंने बच्चों व युवाओं की दुखती रग को छुआ है। साथ ही पढ़ाई की टेंशन से दूर रहने के टिप्स देते हुए नियमित पढ़ने की सीख दी है।
‘शिशु की प्रथम पाठशालाः परिवार‘ निबंध में श्री निर्दोष ने बच्चों को संस्कारवान बनाने पर बल दिया है, आज सबसे बड़ी समस्या यही है कि बच्चों को परिवार से संस्कार नहीं मिल पा रहे हैं नौनिहाल भी मोबाइल से खेलते नजर आ रहे हैं। इस पीड़ा को लेखक ने ‘शारीरिक श्रम से दूर होते बच्चे‘ निबंध में भी उकेरा है।
‘गणतंत्र दिवस का महत्व‘ निबंध में भारत की विशेषताओं को समाहित किया है। ‘फूलांे की घाटी‘ निबंध में उन्होंने उत्तराखंड के चमोली जिले को जीवंतता प्रदान की है। साथ ही यहां पहुंचने का रास्ता भी लेख में उल्लिखित किया गया है।
‘भारतीय रंगमंचः एक लंबा सफर‘ निबंध में लेखक ने रंगमंच पर खतरे को इंगित करते हुए सकारात्मकता का संदेश देते हुए उज्ज्वल भविष्य की कामना की है। ‘राष्ट्र के विकास में युवाओं की भूमिका‘ निबंध के माध्यम से युवाओं को देशभक्ति का पाठ पढ़ाने का प्रयास है। ‘अजंता एलोरा की गुफाएं‘ और ‘ भारत के पर्यटन स्थल‘ निबंध पर्यटन के लिए प्रेरित करते नजर आते हैं। निःसंदेह जीवन को ज्ञान व ताजगी से भरने के लिए पर्यटन भी जरूरी है।
लेखक ने ‘संस्कृति लोक कला एवं संगीत चिकित्सा की महत्ता‘ निबंध में संगीत के स्वर से चिकित्सा के महत्व को आयुर्वेद के नजरिए से प्रस्तुत किया है। ‘प्रकृति की खंडित मर्यादा‘ निबंध में विकास के लिए प्रकृति की आहुति पर पीड़ा व्यक्त की गई है। ‘ भारतीय शिक्षाः शिक्षण व्यवस्था‘ निबंध में शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने के लिए शिक्षा रूपी त्रिभुज की तीन भुजाओं शिक्षक, छात्र और समाज को मजबूत बनने का संदेश दिया है।
‘मंगल ग्रहः एक परिचय‘ निबंध में मंगल ग्रह के संबंध में रोचक जानकारियों से परिचित कराया गया है। ‘जन समस्याओं के समाधान में समाचार पत्रांे की भूमिका‘ निबंध में टीवी मीडिया व सोशल मीडिया के इस दौर में समाचार पत्रों के महत्व को स्वीकार किया गया है। इस तथ्य को नहीं झुठलाया जा सकता है कि आज भी समाचार पत्र समाज निर्माण में महती भूमिका निभा रहे हैं।
अंत में लेखक द्वारा ‘हमारे क्रांतिकारी वीरों के सपनों का देश‘ निबंध में क्रांतिकारियों को नमन करते हुए आजादी के अमृत महोत्सव के तहत शहीदों को श्रद्धासुमन अर्पित करना उल्लेखनीय है।
श्री अशोक निर्दोष जी ने अपनी पुस्तक ‘चिन्तन के स्वर‘ अपनी सहधर्मिणी श्रीमती पूजा को समर्पित किया हैं। इसके प्रकाशक अविचल प्रकाशन ऊॅंचापुल हल्द्वानी उत्तराखंड है। प्रथम संस्करण 2022 में ही प्रकाशित हुआ है। पुस्तक का सजिल्द मूल्य 200 रुपए इस मंहगाई के दौर में बहुत अधिक नहीं है। प्रकाशित पृष्ठों की संख्या 96 भी पाठकों को बोझिल नहीं करेगी। वह आसानी से पढ़ सकते हैं।

संपर्कः श्री अशोक निर्दोष
निर्दोष निकेत, 220 आर्यनगर,
नई बस्ती, बिजनौर
मोबाइलः 9412608017
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समीक्षकः डॉ. दीपक अग्रवाल

संपादकः सनशाइन न्यूज
अमरोहा।

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Dr. Deepak Agarwal
Dr. Deepak Agarwal is the founder of SunShineNews. He is also an experienced Journalist and Asst. Professor of mass communication and journalism at the Jagdish Saran Hindu (P.G) College Amroha Uttar Pradesh. He had worked 15 years in Amur Ujala, 8 years in Hindustan,3years in Chingari and Bijnor Times. For news, advertisement and any query contact us on deepakamrohi@gmail.com
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