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शिक्षा ने ही डिप्टी कलेक्टर बनायाः गम्भीर सिंह

डॉ. दीपक अग्रवाल की विशेष वार्ता
अमरोहा। शिक्षा ही ऐसा मंत्र है जो गांव की पगडंडी से निकले एक मामूली परिवार के बालक को भी बुलंदियों पर बैठा सकता है। जो शिक्षा को अंगीकार कर आगे बढत़ा है तो उसे पद, मान-सम्मान और प्रतिष्ठा सब कुछ मिलता है। जनपद अमरोहा की मंडी धनौरा तहसील में तैनात डिप्टी कलेक्टर गंभीर सिंह का यही मानना है।
एक साधारण परिवार से निकल कर वह कड़ा संघर्ष करने के बाद से इस पद तक पहुंचे हैं। सनशाइन न्यूज वेबपोर्टल के संपादक
डॉ. दीपक अग्रवाल ने उनसे उनके परिवार, पढ़ाई, संघर्ष और मौजूदा हालात पर विस्तार से चर्चा की। उनसे चर्चा का एक ही निष्कर्ष निकला वह शिक्षा को जंग जीतने का सबसे बड़ा हथियार मानते हैं। उनका मानना है कि शिक्षा से ही सपनों को पंख लगते हैं और वे हकीकत में तब्दील होते हैं। अब उन्होंने प्रशासनिक सेवा संग शिक्षा के प्रचार-प्रसार को ही अपना मिशन बना लिया है। पेश है उनसे हुई वार्ता के प्रमुख अंशः

आर्थिक तंगी में गुजरा बचपन
जनपद बिजनौर की नगीना तहसील के गांव छोटा किरतपुर में उनका जन्म हुआ। उनके पिता स्वर्गीय परवीन सिंह लघु कृषक थे और माता स्वर्गीय इंदिरा सिंह गृहणी थी। परिवार में उनके छह भाई और एक बहन भी थी। उन्होंने बताया कि परिवार की आवश्यकता के अनुरुप पिता की आय नहीं थी। इसीलिए आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता था।

प्राथमिक शिक्षा गांव के प्राइमरी स्कूल से पूरी की
प्राथमिक शिक्षा गांव के प्राइमरी स्कूल से ही पूरी की। कक्षा छह से आठ तक की शिक्षा नगीना के अग्रसेन स्कूल से पूरी की। हिंदू इंटर कालेज नगीना में कक्षा नौ की प्रवेश परीक्षा में टॉपर रहे। 1992 में हाईस्कूल और 1994 में इंटर की परीक्षा पास की।

कई कंपनियों और विभागों में विभिन्न पदों पर चयन
उन्हांने बताया कि रुड़की से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद देहरादून चले गए। यहां बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने शुरू किए फिर आइडिया कंपनी में नौकरी की। 2012 में एमएसडब्ल्यू किया। नेट और स्लेट की परीक्षा भी पास की। फिर आनंदा फाइव स्टार होटल में नौकरी करने नरेंद्र नगर चले गए। उसके बाद कई कंपनियों और विभागों में विभिन्न पदों पर चयन हुआ। 2004 बिजली विभाग में ज्वाइन किया। इसी वर्ष इतिहास विषय में पीजी भी किया। इसी साल माता जी की तबीयत काफी खराब हो गई और उनका देहांत हो गया।

आईएएस मामराज और माता जी प्रेरणा स्रोत बने
श्री सिंह ने बताया कि इसी दौरान उनकी मुलाकात देहरादून में बिजनौर के तत्कालीन जिलाधिकारी श्री मामराज सिंह से हुई। उन्होंने उन्हें प्रशासनिक सेवा परीक्षा की तैयारी के प्रेरित किया और हौसला बढ़ाया। साथ ही माता स्व. इंदिरा सिंह भी प्रेरणा स्रोत बनीं। वर्ष 2009 में पीसीएस की परीक्षा का फार्म भरा और 2011 में परीक्षा हुई। 2012 में वाणिज्य कर अधिकारी के पद पर मुरादाबाद में ज्वाइन किया। 2010 व 2011 पीसीएस की परीक्षा पास की लेकिन साक्षात्कार में सफलता नहीं मिली।

2013 में पीसीएस चयनित
2012 की पीसीएस की परीक्षा से बीडीओ के पद पर चयन हुआ और दस अंकों से एसडीएम के पद से वंचित रह गए। 2013 की पीसीएस परीक्षा में एसडीएम पद पर चयन हो गया। उन्होंने बताया कि 26 मार्च 2015 को 2013 की पीसीएस परीक्षा का रिजल्ट घोषित हुआ, इसमें वह पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बीस जिलां से अकेले उनका एसडीएम के पद पर चयन हुआ।

नवंबर 2016 में अमरोहा में एसडीएम पद पर तैनाती
जुलाई 2015 में मुरादाबाद में एसडीएम ट्रेनी के पद पर ज्वाइन किया। यहां आईएएस दीपक अग्रवाल एडीएम वित्त और आईएएस आनंद वामसी सीडीओ से प्रशासनिक नौकरी की बारीकियां सीखीं। नवंबर 2016 में जनपद अमरोहा में एसडीएम के पद पर तैनाती हुई। इन दिनों अमरोहा की तहसील मंडी धनौरा में डिप्टी कलेक्टर के पद पर आसीन हैं।

पत्नी अंजलि सिंह का भी बड़ा योगदान
उन्हांने बताया कि उनकी तरक्की में पत्नी अंजलि सिंह का भी बड़ा योगदान है। वह एमएससी केमेस्ट्री और बीएड है, शिक्षिका के पद पर सेवारत हैं। बेटी अलिसिया गंभीर कक्षा दो में और बे
टा पानव गंभीर नर्सरी में अध्ययनरत है।

नया विचार नई ऊर्जा फाउंडेशन
अपनी प्रशासनिक जिम्मेदारियां को बखूबी अंजाम देने के साथ-साथ वह नया विचार नई ऊर्जा फाउंडेशन, भारत संस्था के माध्यम से शिक्षा के प्रचार-प्रसार में भी जुटे हैं। समय-समय पर अभियान चलाकर वह लोगां को हेलमेट के प्रति भी सचेत करते हैं। करवा चौथ के पर्व पर उन्होंने महिलाओं से अपने पतियां के जीवन की सुरक्षा के लिए हेलमेट उपहार में देने का आह्वान किया था, उनका यह अभियान काफी सफल और चर्चा में रहा।

निशुल्क शिक्षा प्रदान करने का बीड़ा उठाया
उन्होंने जातिवाद से ऊपर उठकर नया विचार नई ऊर्जा फाउंडेशन, भारत संस्था के माध्यम से सभी वर्गों के बच्चों और युवाओं निशुल्क शिक्षा प्रदान करने का बीड़ा उठाया है। अपनी टीम में जागरूक युवाओं और हर क्षेत्र के जांबाजां को शामिल कर गांव-गांव और शहर-शहर शिक्षा की अलख जगाते हैं। वह विभिन्न स्थानों पर पुस्तकालय और कोचिंग सेंटर खोलकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में युवाओं का सहयोग करते हैं।

बच्चों को शिक्षाप्रद पुस्तकों को उपहार दें
उनका मानना है कि शिक्षा ही वह हथियार है जिससे उन्नति, प्रगति, खुशहाली और तरक्की मिलती है। उन्होंने पैरेंट्स से आह्वान किया है कि वे अपने बच्चों को पाठ्यक्रम से इतर शिक्षाप्रद पुस्तकों को उपहार देकर उन्हें पढ़ने के लिए प्रेरित करें। बच्चां में वैज्ञानिक सोच विकसित करें और उन्हें नए प्रयोग करने के लिए हौसला दें।

खूब मन लगाकर पढ़ो सफलता कदम चूमेगी
उन्होंने बच्चों का आह्वान किया है कि वे मन लगाकर पढ़ाई करें एक न एक दिन सफलता उनके कदम जरूर चूमेगी। पढ़ाई से ही शानदार कैरियर बनेगा, मान-सम्मान और खुशहाली मिलेगी

विश्व रिकार्ड बनाया
9 नवंबर 2017 को तिगरीधाम पर बनी मानव श्रृंखला ने 2010 में बुलंदशहर के स्वच्छता की शपथ लेने के लिए साढ़े छह हजार लोगां की मानव श्रृंखला का लिम्का बुक आफ रिकार्ड्स में दर्ज रिकार्ड तोड़ दिया है। इस बार का तिगरी गंगा मेला ऐतिहासिक रहा है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के चश्मे की तर्ज पर तिगरी मेले में स्वच्छता की जागरूकता के लिए लकड़ी का 21 फुट लंबा और 9 फुट बाहरी आकार के साथ 18.5 फुट की डंडी के विशाल आकार का चश्मा बनाकर रिकॉर्ड बनाया गया। चश्मे का विशाल आकार लिम्का ऑफ रिकार्ड्स में दर्ज हो गया है। मेले को खुले में शौच से मुक्त कराने का दूसरा रिकार्ड डीएम नवनीत सिंह चहल और मेला मजिस्ट्रेट धनौरा के उपजिलाधिकारी गम्भीर सिंह के नाम रहा। अब तीसरा विश्व रिकार्ड स्वच्छता के लिए मानव श्रृंखला बनाकर दर्ज किया गया है।

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Dr. Deepak Agarwal
Dr. Deepak Agarwal is the founder of SunShineNews. He is also an experienced Journalist and Asst. Professor of mass communication and journalism at the Jagdish Saran Hindu (P.G) College Amroha Uttar Pradesh. He had worked 15 years in Amur Ujala, 8 years in Hindustan,3years in Chingari and Bijnor Times. For news, advertisement and any query contact us on deepakamrohi@gmail.com
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