मां को समर्पित शलभ गुप्ता की कविता राजू
डॉ. दीपक अग्रवाल अमरोहा/उत्तर प्रदेश (सनशाइन न्यूज) दुनिया के लिए शलभ हूं मैं, मगर मां, तुम्हारे लिए तो, आज भी वही राजू हूं मैं। यूं तो दोनों नाम मुझे, तुमने ही तो दिए थे। आपके और पापा के, जाने के बाद राजू, घर में कहीं गुम हो गया है। बहुत तलाश किया मैंने, परन्तु कहीं मिला नहीं। जीवन की आपा थापी
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