चिकित्सा छात्रा रक्षा सचान की कविता-मैं अपने जैसी
डॉ. दीपक अग्रवालअमरोहा/उत्तर प्रदेश (सनशाइन न्यूज) …. मैं अपने जैसी… यंू तो नहीं हूं मैं सबके जैसी ,पर अच्छा है कि हूं मैं अपने जैसी। नहीं आता है झूठा वादा करना मुझे,वादा किया तो आता है निभाना मुझे। यंू तो नहीं समझ सका कोई मुझे मेरे जैसाक्योंकि सबने देखा मुझे खुद उनके जैसा। है नहीं
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